ग्रामीणों और शहरवासियों के साथ दूर-दूर से भी बड़ी संख्या में आए हैं भक्तगण, मन्दिरों और साधु-संतों के दर्शनों के लिए उमड़ी आस्था,
आकर्षण जगा रहे तपस्वियों के डेरे, दिन भर जारी रही यज्ञ मण्डप एवं भागवत पारायण धाम की परिक्रमा
बांसवाड़ा, 23 नवम्बर/सदियों से धर्म-अध्यात्म की अलख जगा रहे लालीवाव मठ में चल रहे आठ दिवसीय विराट धार्मिक महोत्सव के चौथे दिन शनिवार को समूचे परिक्षेत्र में मेले जैसा माहौल परवान पर चढ़ने लगा है। बांसवाड़ा शहर और गांवों, कस्बों से बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं की आवाजाही बढ़ने के साथ ही आस-पास के राज्यों से भी भक्तगण लालीवाव आकर दर्शन एवं अनुष्ठानों तथा सेवा कार्यों में हाथ बंटाने में जुटे हुए हैं। महोत्सव स्थल पर देश के विभिन्न अखाड़ों, मठों आदि से आए हुए संत-महात्माओं के डेरे और उनके द्वारा की जा रही पूजा विधि तथा रहन-सहन के अनूठे अंदाज हर किसी को आकर्षित कर रहे हैं। लालीवाव मठ में आठ सौ वर्षों से सिद्धों और तपस्वियों के आस्था केन्द्र हनुमानजी और चार शताब्दियों से पूजित प्राचीन पद्मनाभ नृसिंह भगवान तथा अन्य देवी-देवताओं के श्रीविग्रहों का मनोहारी श्रृंगार एवं विशेष पूजन किया गया तथा मठ के पूर्ववर्ती महन्तों की मूर्तियों और समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। महोत्सवी अनुष्ठानों एवं यज्ञ के आचार्य ब्रह्मर्षि पं. दिव्यभारत पण्ड्या एवं पं. निकुंज मोहन पण्ड्या के आचार्यत्व में विभिन्न अनुष्ठानों का क्रम विगत बुधवार से निरन्तर बना हुआ है।
श्रीविद्या मंत्रों से महायज्ञ में आहुतियां दी गई : महोत्सव के अन्तर्गत श्रीविद्या एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के अन्तर्गत श्रीविद्या मंत्रों एवं सम्पुटित श्रीसूक्त का हवन घृत एवं अन्य दिव्य सामग्री से किया गया। पण्डितों एवं यजमानों ने ललिता सहस्रनामावली, श्री विद्या मंत्रों से यज्ञ, श्रीयंत्रों का कुंकुमार्चन, शतचण्डी, रूद्रार्चन, दीपदान सहित अनेक अनुष्ठान किए। मठ परिसर में परमाध्यक्ष श्रीमद् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य मंगलपीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री माधवाचार्यजी महाराज सहित देश के विभिन्न तीर्थ क्षेत्रों से आए धर्माचार्यों, महामण्डलेश्वरों, श्रीमहंतों और साधु-संतों एवं मठाधीशों के दर्शन एवं आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा है। महोत्सव के यज्ञ मण्डप एवं भागवत पारायण मण्डप के दर्शन एवं परिक्रमा के लिए धर्मावलम्बियों का शाम तक तांता लगा रहा।
महोत्सव स्थल पर पूजा-पाठ एवं अनुष्ठान तथा धार्मिक उपयोग की सामग्री की दुकानें लगी हुई हैं। इनमें हरिद्वार एवं अन्य स्थानों से आए व्यवसायियों की दुकानों के साथ ही मलूक पीठ एवं इस्कॉन की बांसवाड़ा शाखा द्वारा भी विभिन्न प्रकार की मालाओं, पूजन सामग्री, धार्मिक सामग्री आदि की स्टॉल्स लगाई गई हैं।
अग्रमलूक पीठाधीश्वर की भागवत कथा में उमड़ा भक्तों का ज्वार, धर्म अध्यात्म जगत की हस्तियों ने किया कथा श्रवण, भगवद् दर्शन और प्रेम भाव को आत्मसात करें – स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज
बांसवाड़ा, 23 नवम्बर/अग्रमलूक पीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने जड़-चेतन सभी में भगवद् दर्शन करते हुए जीवन और जगत का व्यवहार करने का उपदेश देते हुए कहा है कि प्रेम का विराट विस्तार ही परब्रह्म का स्वरूप है। इसे आत्मसात करने की आवश्यकता है।
अग्रमलूक पीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने लालीवाव मठ में चल रहे आठ दिवसीय विराट महोत्सव के चौथे दिन शनिवार को श्रीमद्भागवत कथा अमृत वृष्टि करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए।
उन्होंने भागवत के विभिन्न स्कंधों में समाहित कथाओं, भागवत के दस स्कंधों के लक्षण, उपदेशों, नृसिंह महिमा, डाकोर खालसा के इतिहास आदि विषयों पर विस्तार से व्याख्या करते हुए सत्वगुण के साथ जीवनयापन करने का आह्वान किया।
आरंभ में लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर हरिओमदास जी महाराज, संत श्री रघुवीरदास जी महाराज, हर्ष कोठारी, धरणीधर पण्ड्या, यज्ञ एवं पोथी यजमानों मांगीलाल धाकड़(चड़ोल), भंवरलाल धाकड़(पालछा), ईश्वर जरादी, मुकेश जरादी, डॉ. दिनेश भट्ट, देवेश त्रिवेदी, प्रमुख जनप्रतिनिधियों में पूर्व केबिनेट मंत्री महेन्द्रजीतसिंह मालवीया, लाभचन्द पटेल, भगवत पुरी, जैनेन्द्र त्रिवेदी आदि ने अग्रमलूकपीठाधीश्वर का स्वागत करते हुए भागवत पर पुष्पार्चन किया। संचालन संत श्री रघुवीरदास महाराज ने किया।
शनिवार की कथा में परमाध्यक्ष श्रीमद् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य मंगलपीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री माधवाचार्यजी महाराज सहित सभी संत-महंतों एवं महामण्डलेश्वरों, ण्श्रीमहंतों एवं विभिन्न मठों, आश्रमों व अखाड़ों से आए धर्माचार्यों और साधु-संतों ने हिस्सा लिया और महाराजश्री का स्वागत किया।
श्री राजेन्द्रदास देवाचार्य महाराज ने अपनी कथा को आगे बढ़ाते हुए मंगलदास महाराज और लालीवाव मठ के ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक संदर्भों और महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि लालीवाव मठ सिद्धों की परम्परा का प्राचीन स्थल है। जहां के सिद्ध तपस्वियों ने त्याग तपस्या से सनातन की रक्षा की।
उन्होंने कर्ता भाव के परित्याग को अपनाते हुए भगवान को ही कर्ता मानने और प्रत्येक कर्म को भगवदीय मानते हुए करने का आह्वान किया और कहा कि इससे भगवत्कृपा की प्राप्ति के साथ ही कर्म का फल भोग नहीं होता। महाराजश्री ने देश में गौवध पर पाबन्दी पर जोर दिया और इतने वर्षों में इस दिशा में कुछ ठोस नहीं हो पाने पर दुःख जताया और कहा कि गौवध पाबन्दी हर हाल में होनी चाहिए।
सर्वपितृ मोक्ष के लिए तीसरे दिन तर्पण और हवन विधान में आस्था प्रवाह का दिग्दर्शन
बाँसवाड़ा, 23 नवम्बर/लालीवाव में चल रहे विराट धार्मिक महोत्सव के अन्तर्गत सर्व पितृ मोक्ष अनुष्ठान शनिवार को विधि-विधान से हुआ। इसमें समस्त दिवंगत परिजनों, संबंधितों, ज्ञात-अज्ञात पितरों एवं समस्त मृत जीवात्माओं की गति-मुक्ति के पुरातन अनुष्ठान किए गए।
तर्पण विधान में निर्मोही अखाड़ा(उज्जैन) के धर्माचार्य पं. नारायण शास्त्री एवं उनके सहयोगी पण्डितों ने श्रीमद्भागवत के पोथी यजमानों एवं उनके परिवारजनों को पितर तर्पण विधान पूर्ण कराया।
यजमानों ने पितरों का आवाहन करते हुए जल, दुग्ध, तिल आदि से तर्पण किया और पितरों की प्रसन्नता के लिए हवन करने के बाद सभी ने आरती उतारी और पितरों के नाम सामूहिक कल्याण प्रार्थना की।
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आकर्षण जगा रहा भागवत पारायण पाण्डाल,
108 पण्डितों द्वारा भागवत का समवेत स्वरों में उच्चारण कर रहा मंत्रमुग्ध
बांसवाड़ा, 23 नवम्बर/लालीवाव मठ में चल रहे आठ दिवसीय विराट धार्मिक महोत्सव के चौथे दिन भागवत पारायण पाण्डाल में प्रभातकालीन पोथी पूजन के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से आए 108 पण्डितों ने भागवत मंत्रोच्चारण शुरू किया।
मध्याह्काल तक चले इस भागवत मूल पारायण का दर्शन करने तथा 108 पोथियों एवं भागवत करने वाले पण्डितों की परिक्रमा करने भक्तों का तांता लगा रहा।
यजमान परिवारों द्वारा भागवत पोथी पूजन के उपरान्त श्रीधाम वृन्दावन से आए जाने-माने भागवताचार्य योगेन्द्र मिश्र, पं. बृजबिहारी उपाध्याय एवं पं. भक्तराज ने द्वितीय दिवस के भागवत पारायण विधान का शुभारंभ किया। भागवत पारायण का यह आयोजन बांसवाड़ा के इतिहास पहली बार हो रहा है।