बीजेपी की जीत या बीएपी की पकड़? कांग्रेस की रणनीति से बिगड़ेगा खेल
जुगल कलाल
डूंगरपुर, 21 नवंबर। डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे। यह उपचुनाव केवल उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला नहीं करेगा, बल्कि राज्य की आदिवासी राजनीति और राष्ट्रीय पार्टियों की रणनीतियों के लिए भी निर्णायक साबित होगा। 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के बीच है। इस सीट पर खास नजर इसलिए है क्योंकि यह आदिवासी राजनीति का केंद्र है। यहां से बीएपी के प्रमुख नेता और सांसद राजकुमार रोत आते हैं, जिनकी साख इस चुनाव में दांव पर है। दूसरी तरफ, बीजेपी और कांग्रेस इस सीट पर अपना दबदबा बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक चुके हैं।
बीएपी के गढ़ में चुनौती: राजकुमार रोत की प्रतिष्ठा दांव पर : भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) चौरासी सीट को अपना मजबूत गढ़ मानती है। पार्टी के बड़े नेता और सांसद राजकुमार रोत के नेतृत्व में यह सीट पिछले चुनाव में बीएपी के खाते में आई थी। इस बार पार्टी ने अनिल कटारा को उम्मीदवार बनाया है। चुनाव में बीएपी की जीत को आदिवासी राजनीति की दिशा बदलने वाला कदम माना जा रहा है। अगर बीएपी यह सीट गंवाती है, तो इसका असर राज्य की अन्य आदिवासी आरक्षित सीटों पर भी दिख सकता है।
बीजेपी: मंत्री बाबूलाल खराड़ी के लिए चुनौतीपूर्ण परीक्षा : टीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी आदिवासी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं। चौरासी उपचुनाव में उनके कंधों पर बीजेपी को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है। बीजेपी ने इस बार कारीलाल ननोमा को टिकट देकर नया दांव खेला है, जो आदिवासी समाज में गहरी पकड़ रखते हैं। मंत्री खराड़ी के लिए यह चुनाव सिर्फ पार्टी की जीत का सवाल नहीं है, बल्कि उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक साख भी दांव पर है। आदिवासी इलाकों में बढ़ते बीएपी के प्रभाव को रोकने के लिए मंत्री खराड़ी ने चौरासी में लगातार प्रचार किया और आदिवासी वोटबैंक को अपने पक्ष में करने की हर संभव कोशिश की।
कांग्रेस: युवाओं पर भरोसा, बीएपी को रोकने की रणनीति : कांग्रेस ने इस बार महेश रोत को टिकट देकर युवाओं को साधने की कोशिश की है। डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा का महेश को टिकट दिलाने में अहम योगदान रहा। कांग्रेस ने इस सीट पर स्थानीय नेतृत्व को प्राथमिकता दी है, लेकिन पार्टी आलाकमान की गैर-मौजूदगी को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं।
कांग्रेस के लिए यह चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बीएपी के उदय ने पार्टी के पारंपरिक वोटबैंक को नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस चाहती है कि बीएपी को चौरासी सीट पर हराकर उसका विस्तार रोका जाए।
किसके लिए क्या है दांव पर?
1. बीएपी: राजकुमार रोत की प्रतिष्ठा और आदिवासी राजनीति में पकड़ बरकरार रखना।
2. बीजेपी: बीएपी के प्रभाव को रोककर आदिवासी इलाकों में पार्टी का विस्तार।
3. कांग्रेस: बीएपी को हराकर आदिवासी वोटबैंक में अपनी स्थिति मजबूत करना।
मतगणना की तैयारी
चौरासी सीट पर मतगणना 23 नवंबर की सुबह 8 बजे से शुरू होगी। मतगणना डूंगरपुर के एसबीपी कॉलेज के कमरा नंबर 56 और 57 में की जाएगी। इस प्रक्रिया में कुल 20 राउंड होंगे। ईवीएम मतों की गिनती के लिए 13 टेबल और पोस्टल बैलेट के लिए एक अतिरिक्त टेबल लगाई गई है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने त्रिस्तरीय घेरा तैयार किया है। मतगणना स्थल को 100 मीटर की परिधि में पैदल यात्री क्षेत्र घोषित किया गया है। राजनीतिक प्रत्याशी और काउंटिंग एजेंट का प्रवेश विकेबी गर्ल्स कॉलेज वाले गेट से होगा।