उदयपुर। हिरण मगरी से 4 स्थित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिय महासाध्वी डॉ श्री संयमलता जी म.सा., डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म.सा., डॉ श्री कमलप्रज्ञाजी म.सा., श्री सौरभप्रज्ञाजी म.सा. आदि ठाणा 4 के पावन सानिध्य में आयोजित जगत वल्लभ जैन दिवाकर पूज्य श्री चौथमल जी म. का 147 वां जन्म जयंती समारोह भारत के कोने कोने से पधारे गुरु भक्तों के मध्य भारी उमंग उत्साह के साथ सानंद संपन्न हुआ।
मंगलाचरण के पश्चात दिवाकर चालीसा का सामूहिक गान हुआ। अपने प्रभावशाली उद्बोधन में महासाध्वी डॉ संयमलताजी ने कहा जब तक सूरज चांद रहेगा जैन दिवाकर का नाम रहेगा।जैन दिवाकर संयम और त्याग की प्रतिमूर्ति थे। जैन दिवाकर शक्ति के पुंज थे। अहिंसा, जीव दया, शाकाहार, सदाचार, व्यसनमुक्ति और एकता के क्षेत्र में जैन दिवाकर श्री चौथमलजी म.का नाम अमर रहेगा। जैन दिवाकर जी जहां जाते थे वहां मेला लग जाता था। आपके जीवन का अद्भुत संयोग रहा जन्म, दीक्षा,अंतिम प्रवचन, देवलोक गमन सभी शुक्ल पक्षीय रविवार को हुए। श्रमण संघ की एकता हेतु आचार्य पद को त्याग दिया। साध्वी संयमलता ने अपने प्रवचन के मध्य कहीं ऐसे चमत्कारिक प्रसंग सुनाए जिन्हें सुनकर जनता चकित रह गई। साध्वी अमितप्रज्ञा ने कहा जैन दिवाकर जी वक्ता के साथ तेजस्वी कवि भी थे। वाणी में अद्भुत माधुर्य और आकर्षण था। 32 आगमों के सारांश के रूप में आप श्री ने निग्रंथ प्रवचन ग्रंथ की रचना की। आप का सृजन नितांत मौलिक था। साध्वी कमलप्रज्ञा ने सुन्दर गीतिका के माध्यम से कहां की जैन दिवाकर जी ने सेवाभाव से सभी को अपना बनाया। कई अजैनों को भी जैन बनाया। जैन दिवाकरजी के पास राजा और रंक भी जाते थे। साध्वी सौरभप्रज्ञा ने “जग घूमिया गुरु जैसा ना कोई ” गीतिका से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
चत्तरलाल लोढ़ा, रमेश पुनमिया, पंकज रांका,महेंद्र बोथरा, सुभाष ललवाणी, राकेश छुवान, प्रमोद सुराणा,सुरेश जैन ने अपने विचार व्यक्त किए। सभी ने चौथमलजी म.सा. के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा वे ऐसे सूर्य है, जिनका प्रकाश सभी को मिलता है। इसी कड़ी में सुविधि महिला मंडल, नवकार बहु मण्डल, श्रमण संघ महिला मण्डल ने स्वागत गीत, शशि भंडारी ने गीतिका से सभा को खुशनुमा बना दिया।
निर्मला कर्णावट, आशा बाबेल ने जन्म जयंती के उपलक्ष में 8 उपवास की भेंट अर्पण की। चातुर्मास व्यवस्था समिति द्वारा अभिनन्दन किया गया।
उदयपुर सेक्टर 4 के ऐतिहासिक वर्षावास की वीडियो क्लिप द्वारा सुंदर झलकियां ने दर्शकों का मन मोह लिया। दिवाकर जयंती के संपूर्ण समारोह में जैन दिवाकर जी की प्राचीन चित्रकला प्रदर्शनी आकर्षण का विषय बनी रही।
रतलाम श्री संघ ने महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म.सा. के चरणो में आगामी वर्ष 2025 के वर्षावास हेतु भाव भरी विनंती रखी। समस्त गुरु भगवंतो की आज्ञा से, समस्त आगारो सहित महासाध्वी जी ने सहर्ष आज्ञा प्रदान की।
जैन विश्व भारती इंस्टिट्यूट, लाडनूँ द्वारा साध्वी कमलप्रज्ञा को चार मूल आगम ग्रंथो में प्रतिपादित जीवन विज्ञान : एक दृष्टि विषय पर उनको पीएच.डी. उपाधि से अलंकृत किया गया।उपस्थित जन समूह में हर्ष हर्ष के जयकार गुंजित हो गए
‘जग में चमके जैन दिवाकर” के गगनभेदी जयनादो से विशाल प्रांगण गुंजायमान हो गया।
समारोह में चेन्नई, बैंगलोर, घोडनदी, बारडोली, बुहारी, हैदराबाद,कोटा, सूरत, चितौड़, रतलाम, बदनोर, पुणे, पालघर, बोइसर, भिवंडी, कल्याण, अंधेरी, धारावी, खारघर,गोरेगाव आदि उदयपुर के अनेकों क्षेत्रों से प्रतिनिधि ने उपस्थित होकर समारोह का गौरव बढ़ाया।
कार्यक्रम के पश्चात परम गुरु भक्त श्री पंकज पारसमलजी रांका परिवार द्वारा एक सोने की चेन एवं 10 रजत सिक्कों का लक्की ड्रॉ निकाला गया।
गौतम प्रसादी का लाभ चातुर्मास वित्त मंत्री श्री अरुणजी बया परिवार ने लिया।
समारोह का सफल संचालन महासती डॉ संयमलताजी म.सा. ने किया। चातुर्मास समिति के संयोजक श्री ललित लोढ़ा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया, आभार व्यक्त किया चातुर्मास समिति वित्त मंत्री अरुण बया ने किया।