30 से 40 साल की उम्र में लोगों की आंखों में मोतियाबिंद होना आम,लेकिन डरने की आवश्यकता नहींःडॉ.टी.टी.याल

उदयपुर। राजस्थान ओप्थलमोलोजिकल सोसायटी की ओर से होटल इन्दर रेजीडेन्सी में चल रहे तीन दिवसीय राजस्थान ओप्थलमोलोजिकल का 46 वां अधिवेशन रोसकोन-24 में आज के मुख्य अतिथि एम्स नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉक्टर टी टी याल थे।
अपने व्याख्यान में डॉक्टर टी टी याल ने नेत्र चिकित्सा में लगातार बढ़ रही चुनौतियों के बारंे में गंभीर चर्चा तो की ही साथ ही इसमें रोजाना आ रही नई-नई तकनीक के माध्यम से नैत्र चिकित्सा को आसान कैसे बनाया जा सकता है इसके बारे में सभी को बताया। उन्होंने कहा कि आजकल 30 से 40 साल की उम्र में लोगों की आंखों में मोतियाबिंद होना आम बात हो गई है। लेकिन इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसका इलाज पूर्ण रूप से उपलब्ध है। पहले मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद लोगों को आंखों पर चश्मा चढ़ाना पड़ता था, लेकिन अब नई तकनीक के चलते कई तरह के लेंस उपलब्ध होने से ऑपरेशन के बाद वह लेंस नेत्र में प्रत्यारोपित कर दिए जाते हैं जिसके कारण व्यक्ति को आंखों पर चश्मा चढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं रहती है।
डॉक्टर टी टी याल ने खासकर बच्चों के बारे में कहा कि उनमें पटाखो, कई तरह की पन औजार चोटो और अन्य कारणों से उनके आंखों में लगने वाली चोटों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा उन चोटों के कारण उनकी आंखों पर गंभीर असर पड़ रहा है एवं सबसे गंभीर बात यह है कि उनकी आंखों का ऑपरेशन करने के बावजूद कई बार वह ठीक नहीं हो पा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि जो बच्चा समय से पूर्व जन्म ले लेता है उसमें आंखों के पर्दे खराब होने की समस्या संभव है। इसलिए ऐसे बच्चों का एक माह के अंदर-अंदर ही नेत्र के परदों का परीक्षण करवा लेना चाहिए ताकि भविष्य में होने वाली किसी भी गंभीर समस्या से निपटा जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिन शिशुओं का जन्म के समय वजन 2 किलोग्राम से कम हो उन बच्चों का भी नेत्र परीक्षण करवाया जाना जरूरी है ताकि यह पता लग सके कि उनकी आंखों के परदो की स्थिति क्या है। अक्सर यह देखा गया है कि 2 किलो से कम वजन वाले शिशुओं की आंखों के परदे ठीक नहीं होते हैं। दूसरे दिन की कॉन्फ्रेंस में शिशुओं के लिए एक पूरा अलग सेशन रखा गया था। इस सेशन में केवल बच्चों की आंखों के संबंधित रोगों पर ही गंभीर चर्चा हुई। माता-पिता को अपने बच्चों की आंखों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते रहना चाहिए और समय-समय पर उनके नेत्र परीक्षण करवाते रहना चाहिए।
कॉन्फ्रेंस सचिव डॉ. लक्ष्मण सिंह झाला ने बताया कि दूसरे दिन आज नेत्र चिकित्सा पर कई व्याख्यान हुए एवं भविष्य में आने वाली चुनौतियों पर गंभीर चर्चा हुई। सोसाइटी चैयरमेन डॉ. विशाल अग्रवाल ने बताया कि मुख्य वक्ता के तौर पर टी.टी.याल का समिति की ओर से भव्य स्वागत अभिनंदन किया गया। कॉन्फ्रेन्स में राज्य 150 रेजीडेन्ट नेत्र चिकित्सक नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों की जानकारी प्राप्त कर रहे है।

By Udaipurviews

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