झीलों की नगरी उदयपुर का नाम जैसे ही जहन में आता है तो अरावली पर्वतमालाओं की सुंदर छटाओं के साथ प्रफुल्लित प्रकृति की कल्पनाएं यकायक मन में सजने धजने लगती है। सच में उदयपुर धरती पर स्वर्ग सा है।
वर्षों पहले सन 1829 में अंग्रेजी राज में उदयपुर यात्रा पर आये ईस्ट इंडिया कंपनी के एजेंट कर्नल जेम्स टॉड ने कहा था- “भारत का सबसे रोमांटिक स्थल” कोई है तो वह है-उदयपुर।
महीनों तक उदयपुर में रहने के बाद किसी विदेशी द्वारा ऐसी टिप्पणी करना गौरवपूर्ण है।
यहां की प्राकृतिक वादियां, लोगों का रहन सहन, संस्कृति-सभ्यता, परम्पराएं, रीति रिवाज, खान-पान, घर, मकान-महल, झीलें, राजा-महाराजाओं की कला-स्थापत्य शैली और बाग-बगीचे विदेशी मेहमानों को ही नहीं बल्कि स्थानीय लोगों के लिए मन मोहक है। एक बार उदयपुर आया व्यक्ति यहाँ का कायल हो जाता है। जिसने भी यहाँ कुछ पल गुजारे उसकी जिंदगी में उदयपुर की स्मृतिया बेसुमार हो जाती है। कौन भूल सकता है- फतहसागर, फव्वारें, सहेलियों की बाड़ी, सज्जनगढ़, गुलाबबाग़,महाराणा प्रताप की राजधानी और हल्दीघाटी।
उदयपुर पर्यटन स्थल होने के बावजूद शान्ति-अमन और सौहार्दपूर्ण से परिपूर्ण है। पुलिस प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद है । उदयपुर वासी ‘अतिथि देवों भवः’ की सनातन परंपरा का निर्वहन करते हुए यहाँ आने वाले हर एक देशी विदेशी सैलानियों को पूरा मान सम्मान देते हैं। जिससे विश्व पटल पर राजस्थान के उदयपुर का नाम अव्वल पर रहता है। घूमने वाले और छुट्टियां बिताने वाले लोगों की लिस्ट में पहला डेस्टिनेशन उदयपुर रहता है।
एक नजर अगर राजस्थान पर्यटन व्यवसाय पर डाले तो शौर्य,त्याग और बलिदान की धरा उदयपुर शीर्ष मुकाम बनाए हुए है।साथ ही उदयपुर के आस पास के हलकों को जनजातीय क्षेत्र घोषित किये जाने से मदद और सेवा पहुंचाने हाथों की कोई कमी नहीं रही है।
आदिवासी बहुल इलाकों में निवासरत बच्चों, बूढ़ों, महिलाओं और व्यक्तियों का जीवन स्तर ऊपर उठाने के साथ उन्हें स्वस्थ और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी हजारों सामाजिक संगठन प्रयासरत है। इन मानवता प्रेमियों की वजह से उदयपुर सेवा नगरी के नाम से भी पहचाना जाने लगा है। समाज सेवी सज्जन वनवासी क्षेत्रों में जाकर आदिवासी गरीबों में जागरूकता फैलाने के अलावा दैनिक जीवन सुचारू चलाने में भी मदद करते हैं।
इसमें #नारायण सेवा संस्थान, #upkarsansthantrust, सेवामन्दिर जैसे मानव सेवी संगठन अग्रणी है।
दीन- हीन, दिव्यांगों, जरूरतमंद जनों की बदहालात को बदलने के लिए देरी नहीं करते हुए आगे आने वाले बधाई के पात्र है। उदयपुर को सेवा सिरमौर बनाने वाले हर एक शख्स की आज मेहनत रंग लाई है।
कोई न रहे दुःखी, सब सुखी संसार बनें की संकल्पना और भावना सिद्ध होने के साथ आकार लेने लगी है।
भगवान प्रसाद गौड़
लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता, उदयपुर मो. 9829561926