आध्यात्मिक और वैज्ञानिक जीवन का निर्माण करता है जीवन विज्ञान

उदयपुर। आचार्य महाश्रमण की विदुषी सुशिष्या डॉ. साध्वी परमयशा,साध्वी विनम्रयशा एवं साध्वी कुमुदप्रभा के सानिध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के समापन के अवसर पर जीवन विज्ञान दिवस का कार्यक्रम श्री दिगंबर जैन बालिका विद्यालय के प्रांगण खेरादीवाडा में आयोजित किया गया। साध्वी विनम्रप्रभा ने स्कूल के विद्यार्थियों को उद्बोधित करते हुए कहा कि संकल्प हमारा ऐसा सूरज बन हम पूरे करें आशाओं का लगे पंख जीवन में कुछ नया करें। अनुशासन जीवन विकास का सोपान है, सुखी जीवन की चाबी है।
साध्वी कुमुदप्रभा ने कहा कि अच्छी जीवन शैली जीने के लिए कम खाना ,गम खाना, नम जाना यह तीन बातें जो जीवन में अपनाता है वह सफलता के शिखर पर पर चढ़ते हैं।
समिति की अध्यक्षा श्रीमति प्रणिता तलेसरा ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में इसे प्रेक्षाध्यान एवं जीवन विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें ध्यान और योग के साथ शिक्षा के लिए उपयोगी तत्वों का भी समावेश किया गया है। बौद्धिक विकास और भावनात्मक विकास दोनों में संतुलन स्थापित करने के लिए आवश्यक है जीवन विज्ञान का प्रयोग और प्रशिक्षण।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता चंद्रप्रकाश पोरवाल ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था बालकों को शारीरिक और बौद्धिक विकास के अवसर प्रदान करती है, परंतु उनके मानसिक संतुलन और संवेग नियंत्रण पर ध्यान नहीं दिया जाता। जीवन विज्ञान शिक्षा में सैद्धांतिक और प्रायोगिक प्रशिक्षण से व्यक्तित्व  का रूपांतरण हो सकता है इसके अभ्यास में विद्यार्थी के आचरण और व्यक्तित्व में बदलाव लाया जा सकता है। प्रारम्भ में डॉ. विजयलक्ष्मी नैनावटी ने मंगलाचरण किया।
उपाध्यक्ष सुनील  इंटोदिया ने अणुव्रत आचार्य संहिता का वाचन कर सभी को शपथ दिलाई। शाला प्रधान  ने जीवन विज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। सरला अग्रवाल, मंजू इटोदिया,अलका बाबेल ने स्कूल की लाइब्रेरी के लिए जीवन विज्ञान की पुस्तकें भेंट की। प्रकाश बाबेल,हेमेंद्र कोठारी ने अणुव्रत आचार संहिता का पट शाला प्रधान को भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन उपाध्यक्ष राजेंद्र सेन ने किया। आभार मंत्री कुंदन भटेवरा ने किया।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!