ज्ञान, नम्रता एवं योग्यता निसर्ग रूचि जगा कर हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती है : आचार्य विजयराज

उदयपुर, 5 अक्टूबर। केशवनगर स्थित अरिहंत वाटिका में आत्मोदय वर्षावास में हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने कहा कि तत्वार्थ सूत्र में आचार्य उमास्वाति ने सम्यक्त्व प्राप्ति के दो कारण बताए-अभिगम एवं निसर्ग रूचि। स्वाध्याय करते-करते एवं शास्त्रों का श्रवण करते-करते अधिगम की प्राप्ति होती है तथा प्रभु द्वारा उपदिष्ट ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप इन चार भावों पर श्रद्धा रखना ही निसर्ग रूचि है। निसर्ग का एक अर्थ स्वभावतः भी है। अतः कभी-कभी सहज रूप से भी यह रूचि विकसित हो जाती है। हर जगह प्रकृति अपना काम करती है। इसलिए पर्वत के शिखर से खिसका पत्थर तलहटी तक आते-आते या फिर नदी के प्रवाह में बहता पत्थर सुंदर गोलाकार रूप ले लेता है। ठीक वैसे ही निगोद में अनंत जीव साथ रहकर जन्म-मरण करते हें और उनमें से कोई जीव काल के पकने पर अव्यवहार राशि से निकल कर व्यवहार राशि में आ जाता है। इस प्रकार जीव अनंत से असंख्याता, असंख्याता से संख्याता में वैसे ही आ जाता है जैसे कि सीप में मोती आता है। ऐसे जीव को श्रद्धा से ज्ञान, नम्रता से मान एवं योग्यता से सम्मानजनक स्थान मिलता है। ज्ञान, नम्रता एवं योग्यता निसर्ग रूचि जगा कर हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती है। निसर्ग रूचियुक्त जीवों का पुरूषार्थ के प्रति विश्वास, प्रभु के प्रति आस्था एवं परमार्थ के कार्यों में रूचि पैदा हो जाती है। इसके साथ ही हमारी गुणदृष्टि गुणानुराग का भाव पैदा करती है। गुणानुराग के साथ हमारा पुरूषार्थ ही हमें सफलता दिलाता है। गोशालक को प्रभु में एक भी गुण नजर नहीं आया अतः गोशालक का मोक्ष नहीं हुआ . गौतम स्वामी को प्रभु में एक  भी अवगुण नजर नहीं आया, अतः उनका मोक्ष हो गया। विनोद मुनि जी म.सा. ने कहा कि नवरात्रि में सनातन धर्म की मान्यतानुसार नवलक्ष्मी की लक्ष्मियों की चर्चा समीचीन है . हम तीसरे दिन तीन लक्ष्मियों की चर्चा कर रहे  हैं-आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी व धान्यलक्ष्मी। संस्कार हमारी आदि लक्ष्मी है। इनके सुरक्षित रहने पर सबकुछ सुरक्षित है। अनावश्यक पापों के रूकने पर धनलक्ष्मी बढ़ती है जो कि अभय कुमार के पास थी। अन्न का आदर करने पर धान्य लक्ष्मी सदा मिलती है।
श्रीसंघ मंत्री पुष्पेन्द्र बड़ाला ने बताया कि सप्त दिवसीय आयोजन के पांचवें दिन शान्त-क्रान्ति महिला मंडल द्वारा चार राउंड में आयोजित अंत्याक्षरी प्रतियोगिता में उदयपुर शहर के 28 मंडलों की 200 श्राविकाओं ने भाग लिया। अध्यक्ष पद्मिनी चौधरी एवं मंत्री रेखा बड़ाला के नेतृत्व में सात सदस्यीय टीम ने इसे सफल बनाया। अशोक नगर का जैन जागृति मंडल, बड़गांव का जैनम जागृति मंडल एवं सेक्टर-11 का प्रभा मंडल क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय रहा। तीनों टीमों सहित सभी प्रतियोगी टीमों को हेमन्त -लीला कोठारी द्वारा पारितोषिक प्रदान किए गए।

By Udaipurviews

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