पानी वाले बाबा डॉ. राजेन्द्र सिंह ने मेवाड़ की धरा से की स्वराज यात्रा की शुरूआत
उदयपुर, 2 अक्टूबर। जर्नादनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में बुधवार को गांधी-शास्त्री जयन्ती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर विश्विविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में विश्वशान्ति की कामना के साथ भजनों की प्रस्तुतियां दी गईं। इस अवसर पर पानी बाबा डॉ. राजेन्द्र सिंह की ओर से मेवाड़ की धरा से स्वराज यात्रा की भी शुरूआत की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जल पुरूष प्रो. राजेन्द्र सिंह ने अपने उद्बोधन में गांधी के विचारों ,मूल्यों के साथ पर्यावरण चेतना को जोड़ते हुए उन्हें अपनाने की बात कही। उन्होंने गांधी के स्वराज पर विचार रखते हुए उनके 18 रचनात्मक कार्यों तथा लोक शिक्षण, स्वावलंबन, संगठन तथा सत्याग्रह के द्वारा स्वराज के अर्थों एवं महत्व और आवश्यकता को बताया। शिक्षाविद् और वागधरा संस्थान के सचिव जयेश जोशी ने गांधी के स्वराज पर बोलते हुए कहा कि स्वराज की शुरूआत ही संवाद के साथ होती है। प्रकृति के साथ संवाद एवं गैर निर्भिता के द्वारा संसार की समस्याओं के समाधान की बात कही। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. सारंगदेवोत ने गांधी के विचारों को व्यापक अर्थों में समझे जाने की आवश्यकता बताई तथा विश्व बंद्युत्व व वसुधैव कुटुम्बकम् के भावों की वर्तमान समय में वैश्विक शान्ति के संदंर्भ में आवश्यकता को अधिरेखांकित किया। विद्यापीठ के स्कूल ऑफ सोशल वर्क की ओर से स्वराज से सतत विकास पर किए गए शोध कार्य की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो सरोज गर्ग ने बताया कि गांधी स्वराज विचार कार्यक्रम के माध्यम से कार्यकर्ताओं ने एनईपी 2020 के संदर्भ में गांधीजी के विचारों की वर्तमान में प्रांसगिकता और आवश्यकता का जाना। साथ ही पर्यावरण चेतना से जुड़े तथ्यों पर भी चर्चा हुई। कार्यक्रम में गांधी जी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने सहित कई भजनां की प्रस्तुतियां दी गई। साथ ही पर्यावरण संरक्षण एवं जागरूकता हेतू कार्यकर्ताओं सहित गणतान्य लोगों को शपथ भी दिलाई गई। इस मौके पर बृजमोहन दीक्षित ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरिश चौबीसा ने किया तथा धन्यवाद डॉ. रचना राठौड़ ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. बलिदान जैन डॉ. अमी राठौर, डॉ. अनिता कोठारी, डॉ. सरिता मेनारिया डॉ. पुनीत पांडे, डॉ. हरीश मेनारिया डॉ अमित दवे, डॉ. हिम्मत सिंह चुंडावत डॉ. सुभाष पुरोहित, डॉ रोहित कुमावत, डॉ. ममता कुमावत सहित व्याख्याता एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।