– महासती मनःप्रिया जी म.सा. के मासखमण का हुआ पूर
उदयपुर, 23 सितम्बर। केशवनगर स्थित अरिहंत वाटिका में आत्मोदय वर्षावास में सोमवार को तपस्वियों का बहुआयामी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें 125 तपस्वियों का स्वर्ण एवं रजत सिक्कों एवं प्रशस्ति पत्र से बहुमान किया गया।
श्रीसंघ अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने बताया कि सोमवार को आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि हुक्मीचंद जी बोथरा थे, जबकि अध्यक्षता श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी शान्त-क्रान्ति जैन श्रावक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजू भूरट ने की जबकि विशिष्ट अतिथि हुक्मीचंद बोथरा, पारस देवी, यशवंत आंचलिया, केन्द्रीय संघ के महामंत्री सी.ए. विरेन्द्र जैन थे। कार्यक्रम का आगाज शान्त-क्रान्ति महिला मंडल के मंगलाचरण ‘‘सबसे बड़ा नवकार है, श्रद्धा से जप लो बेड़ा पार है’’ से एवं रेणु वर्डिया के स्वागत गीत से हुआ। सम्मान की कड़ी में 43 उपवास से 31 उपवास का तप करने वाले 11 तपस्वियों को हुक्मीचंद बोथरा ने स्वर्ण सिक्कों से नवाजा। मासरमण कर्त्ताओं सहित आठ से लेकर 21 तक की तपस्या करने वाले 125 तपस्वियों को श्रीमती आशा अनिल जी कटारिया, सिकंदराबाद एवं पारस देवी यशवंत आंचलिया द्वारा रजत सिक्के प्रदान किए गए। सिद्धि तप के तपस्वियों का भी बहुमान किया गया। सभी तपस्वियों को उदयपुर श्रीसंघ अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता, विरेन्द्र जैन, विजय सिंह लोढ़ा, आंनदीलाल बम्बोरिया, गजराज जैन , जवरीलाल बोहरा एवं मीठालाल लोढ़ा ने प्रशस्ति पत्र भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन संघ मंत्री पुष्पेंद्र बड़ाला ने किाय। इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने महासती श्री मनःप्रिया जी म.सा. के मासखमण की तपस्या का पूर होने पर अनुमोदना करते हुए कहा कि साध्वी मनःप्रिया के तन में क्षमता, मन में समता एवं जीवन में गम्भीरता है। उन्होंने मन को वश में किया, क्षुधा परीषह को जीत कर तप की सौरभ फैलाई है। उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने कहा कि महासती जी ने 31 उपवास के अनशन तप की आराधना करते हुए अपना स्वाध्याय एंव अध्ययन जारी रखा। आपने तप करके अपने कर्मों को धुन डाला। इस अवसर पर सभी साधु-साध्वियों ने तप की अनुमोदना की।
तपस्या करने वाले 125 तपस्वियों का स्वर्ण एवं रजत सिक्कों से हुआ बहुमान
