राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय में दिवेर विजय महोत्सव के अंतर्गत व्याख्यान माला
उदयपुर, 18 सितंबर। राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय, उदयपुर में दिवेर विजय महोत्सव के अंतर्गत व्याख्यान माला आयोजित की गई।
व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता प्रताप गौरव केंद्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने महाराणा प्रताप के दिवेर विजय अभियान पर ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर व्याख्यान दिया। उन्होंने प्रताप के व्यक्तित्व को मेवाड़, राजस्थान तक सीमित न मानते हुए उन्हें संपूर्ण भारत के स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी प्रेरक व्यक्तित्व बताया। महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व और कृतित्व को कमतर करने के राष्ट्र विरोधी विमर्श का प्रत्युत्तर देते हुए उन्होंने प्रताप के साहसिक और निर्णायक हल्दीघाटी तथा दिवेर युद्ध विजय का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि प्रताप कभी हारे नहीं बल्कि अपने अभियानों में सतत विजयी रहे। हल्दीघाटी में आक्रमण कारी मुगलों पर जीत प्राप्त की और दिवेर में आक्रांता मुगल सैनिकों के 36 थानों पर रणनीतिक कूटनीतिक जीत हासिल कर मुगलों को अजमेर तक खदेड़ दिया। उन्होंने मुगल सेना का नेतृत्व करने वाले अकबर के रिश्तेदार सुलतान खान को अमरसिंह द्वारा घोड़े सहित बींधने का उल्लेख करते हुए दिवेर के साहसिक और निर्णायक अभियान को महाराणा प्रताप के स्वाभाविक युद्धकौशल की परिणति बताया।
प्रताप दूरदर्शी प्रशासक थे
श्री सक्सेना ने महाराणा प्रताप को अकबर की अपेक्षा कमजोर, निरंतर संघर्ष शील, पराजित, घास की रोटी खा कर वन क्षेत्र में भटकने के कृत्रिम विमर्श को अपने ऐतिहासिक तथ्यों से गलत बताया। प्रताप को एक दूरदर्शी प्रशासक बताते हुए उनकी कई उपलब्धियों की चर्चा की।
जनजाति समुदाय से सहज सरल संबंध
सक्सेना ने प्रताप के मूल नाम राणा कीका का उल्लेख करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप के मेवाड़ के जनजातीय समुदाय से स्वाभाविक सहयोग और सहज सरल संबंध थे। जनजाति समुदाय ने हर संघर्ष में उनका साथ दिया। उन्होंने प्रताप के जनजाति समुदाय से सहज संबंधों को उनकी सैन्य उपलब्धियों का एक बड़ा कारण बताया।
छात्राओं ने सुनाए प्रेरक प्रसंग व गीत
व्याख्यानमाला के दौरान महाविद्यालय की छात्राओं ने महाराणा प्रताप से जुड़े प्रेरक प्रसंग तथा गीत आदि भी प्रस्तुत किए। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. दीपक माहेश्वरी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए व्याख्यान माला की महत्ता को इंगित किया। इस अवसर राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो मनोज बहरवाल, उसेन के डॉ बी डी बारहठ, डॉ विनीता राजपुरोहित, संकाय सदस्य डा अशोक सोनी तथा अन्य संकाय सदस्य एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।
44वीं छात्रकला प्रदर्शनी : 13 नवंबर तक जमा हो सकेंगी कलाकृतियां
उदयपुर, 18 सितम्बर। राजस्थान ललित कला अकादमी जयपुर द्वारा आयोजित 44वीं छात्र कला प्रदर्शनी के लिये अकादमी कार्यालय में कलाकृतियां जमा कराने की अन्तिम तिथि 13 नवंबर को शाम 5 बजे तक रखी गई है। सचिव डॉ. रजनीश हर्ष ने बताया कि अकादमी वेबसाइट पर छात्रकला प्रदर्शनी के आवेदन पत्र प्राप्त किये जा सकते है। इस छात्र कला प्रदर्शनी में प्राप्त कलाकृतियों में से निर्णायक मण्डल द्वारा चयन किया जाकर सर्वश्रेष्ठ 10 कलाकृतियों को 10-10 हजार रूपये के पुरस्कार दिया जाएगा।