उदयपुर 13/9/24 । पीएचडीसीसीआई-राजस्थान चैप्टर और माइंस एंड मिनरल्स कमेटी द्वारा राजस्थान में खनन क्षेत्र के लिए विपणन, निर्यात और वित्तपोषण में नए रास्ते विषयक द्वितीय राजस्थान माइनिंग समिट का उदयपुर चौंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सभागार में सफल आयोजन किया गया। जिसमें पूरे भारत से आए प्रख्यात वक्ताओं ने अपने ज्ञान और दृष्टिकोण को साझा किया।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि राज्य सरकार माइनिंग सेक्टर के सतत् विकास के लिए कटिबद्ध है, इस सन्दर्भ में राजस्थान मिनरल पॉलिसी का ड्राफ्ट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है एवं क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों एवं जन प्रतिनिधियों की राय पॉलिसी में उचित समायोजन के लिए आमंत्रित की जा रही है। सरकार ने विगत वर्ष में रिकॉर्ड मिनरल ब्लॉक्स की नीलामी के लिए राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों से प्रस्ताव मांगे एवं आवंटित खनिज ब्लॉकों के दोहन को गति प्रदान करने हेतु जयपुर में एक फेसिलिटेशन सेन्टर की स्थापना की है।
कलाल ने राज्य में पाए जाने वाले खनिजों के राज्य में ही प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन करने की आवश्यकता पर जोर दिया जिससे राज्य में नए निवेश, औद्योगिकीकरण, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे एवं राजस्व में भी वृद्धि होगी। माइनिंग वेस्ट के लाभकारी उपयोग को बढ़ाने हेतु सरकार उद्यमियों को सभी सुविधाएं प्रदान करेगी। कलाल ने आगे बताया कि राजस्थान में लगभग 17 प्रकार के दुर्लभ पृथ्वी तत्व एवं क्रिटिकल मिनरल्स उपलब्ध हैं जिनके दोहन में व्यापार की प्रचुर संभावनाएं हैं। राजस्थान में आने वाला समय माइनिंग क्षेत्र के लिए स्वर्णिम काल है एवं उन्होंने उद्यमियों से आवाहन किया कि वे इस क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश लाएं एवं पर्यावरण को संरक्षित करते हुए इस क्षेत्र के सतत विकास में योगदान दें ताकि राजस्थान वर्तमान तीसरी पायदान से देश में इस क्षेत्र में शीर्ष स्थान प्राप्त कर सके।
उदयपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एम एल लुनावत ने अपने संबोधन में खनन क्षेत्र से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए सरकार से आग्रह किया कि इन पर उचित कार्यवाही करते हुए समस्याओं का निराकरण करे ताकि उद्यमियों के लिए खनन क्षेत्र करने का और अधिक अनुकूल वातावरण बन सके।
माइनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान उदयपुर चैप्टर के अध्यक्ष ने जीरो वेस्ट माइनिंग पर जोर देते हुए राज्य से खनिज उत्पादों के आयात बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
फेडरेशन ऑफ माइनिंग एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (थ्ड।त्) के उपाध्यक्ष राजेंद्र हरलालका ने सरकार से खनन क्षेत्र में व्यापार सुगमता बढ़ाने एवं प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन राज्य में विकसित करने हेतु उपयुक्त नीतिगत ढांचा उपलब्ध कराने का आग्रह किया। भारतीय खान ब्यूरो के खान नियंत्रक अभय अग्रवाल ने केंद्र सरकार द्वारा खनन क्षेत्र में नीति नवाचारों के बारे में जानकारी दी। राज्य के अतिरिक्त खान निदेशक पी आर आमेटा ने ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस बढ़ाने हेतु विभाग द्वारा की गई पहल एवं नवाचारों की जानकारी दी। शिखर सम्मेलन के दौरान पीएचडीसीसीआई और एलएसआई इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंट्स द्वारा नॉलेज रिपोर्ट भी तैयार की गई।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए पीएचडीसीसीआई-राजस्थान के क्षेत्रीय निदेशक आर के गुप्ता ने आश्वाशन दिया कि चेम्बर राज्य के खनन क्षेत्र के विकास के लिए भविष्य में भी विभिन्न विषयों पर राज्य सरकार एवं खनिज उद्योग के साथ मिलकर नए नवाचारों एवं कार्यक्रमों का आयोजन करता रहेगा एवं राज्य में निवेश आकर्षित करने हेतु खनिज विभाग के साथ अपनी भागीदारी निभाएगा।
शिखर सम्मेलन को नेचुरल रिसोर्स कंसल्टिंग लिमिटेड, यूके के निदेशक सुदीप्तो मुखर्जी, एलएसआई इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंट्स के माइंस एंड मेटल्स डिवीज़न के उपाध्यक्ष अर्नब मजूमदार, प्राइस वाटर हाउस कूपर्स के एसोसिएट निदेशक अभिनव सेनगुप्ता, ईसीजीसी लिमिटेड के शाखा प्रबंधक कल्पतरु बेहरा, कीरी ऑयलफील्ड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी ललित कुमार कीरी, एनएसआईसी के जोनल कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक प्रभात कुमार झा, रिसर्जेंट इंडिया के सहायक उपाध्यक्ष अभिषेक रूंगटा, पीएचडीसीसीआई के सस्टेनेबिलिटी केंद्र के प्रमुख मिथिलेश कुमार ने भी संबोधित किया। तकनीकी सत्र का सञ्चालन मानद सेक्रेटरी जनरल डॉ तलेसरा ने किया।
विशेषज्ञों ने राज्य में व्याप्त प्रचुर खनिज भंडारों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी तरीके से आवश्यक आंकड़ों एवं विश्लेषण के साथ प्रभावी तरीके से प्रस्तुत एवं प्रसारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि विश्व की ख्याति प्राप्त कंपनियां, विशेषज्ञ एवं उद्यमी राज्य में अपार खनिज सम्पदा के दोहन एवं निवेश के लिए आकर्षित एवं प्रेरित सकें। विशेषज्ञों ने खनिज क्षेत्र में नवीन तकनीकी, वित्त पोषण के नवीन स्रोतों एवं निर्यात की संभावनाओं की जानकारी प्रतिभागियों के साथ साझा की।
शिखर सम्मेलन में राजस्थान और आसपास के राज्यों से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। माइनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान-उदयपुर चौप्टर, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति, एफएमएआर और सीडीओएस ने कार्यक्रम को अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि राज्य सरकार माइनिंग सेक्टर के सतत् विकास के लिए कटिबद्ध है, इस सन्दर्भ में राजस्थान मिनरल पॉलिसी का ड्राफ्ट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है एवं क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों एवं जन प्रतिनिधियों की राय पॉलिसी में उचित समायोजन के लिए आमंत्रित की जा रही है। सरकार ने विगत वर्ष में रिकॉर्ड मिनरल ब्लॉक्स की नीलामी के लिए राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों से प्रस्ताव मांगे एवं आवंटित खनिज ब्लॉकों के दोहन को गति प्रदान करने हेतु जयपुर में एक फेसिलिटेशन सेन्टर की स्थापना की है।
कलाल ने राज्य में पाए जाने वाले खनिजों के राज्य में ही प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन करने की आवश्यकता पर जोर दिया जिससे राज्य में नए निवेश, औद्योगिकीकरण, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे एवं राजस्व में भी वृद्धि होगी। माइनिंग वेस्ट के लाभकारी उपयोग को बढ़ाने हेतु सरकार उद्यमियों को सभी सुविधाएं प्रदान करेगी। कलाल ने आगे बताया कि राजस्थान में लगभग 17 प्रकार के दुर्लभ पृथ्वी तत्व एवं क्रिटिकल मिनरल्स उपलब्ध हैं जिनके दोहन में व्यापार की प्रचुर संभावनाएं हैं। राजस्थान में आने वाला समय माइनिंग क्षेत्र के लिए स्वर्णिम काल है एवं उन्होंने उद्यमियों से आवाहन किया कि वे इस क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश लाएं एवं पर्यावरण को संरक्षित करते हुए इस क्षेत्र के सतत विकास में योगदान दें ताकि राजस्थान वर्तमान तीसरी पायदान से देश में इस क्षेत्र में शीर्ष स्थान प्राप्त कर सके।
उदयपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एम एल लुनावत ने अपने संबोधन में खनन क्षेत्र से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए सरकार से आग्रह किया कि इन पर उचित कार्यवाही करते हुए समस्याओं का निराकरण करे ताकि उद्यमियों के लिए खनन क्षेत्र करने का और अधिक अनुकूल वातावरण बन सके।
माइनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान उदयपुर चैप्टर के अध्यक्ष ने जीरो वेस्ट माइनिंग पर जोर देते हुए राज्य से खनिज उत्पादों के आयात बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
फेडरेशन ऑफ माइनिंग एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (थ्ड।त्) के उपाध्यक्ष राजेंद्र हरलालका ने सरकार से खनन क्षेत्र में व्यापार सुगमता बढ़ाने एवं प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन राज्य में विकसित करने हेतु उपयुक्त नीतिगत ढांचा उपलब्ध कराने का आग्रह किया। भारतीय खान ब्यूरो के खान नियंत्रक अभय अग्रवाल ने केंद्र सरकार द्वारा खनन क्षेत्र में नीति नवाचारों के बारे में जानकारी दी। राज्य के अतिरिक्त खान निदेशक पी आर आमेटा ने ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस बढ़ाने हेतु विभाग द्वारा की गई पहल एवं नवाचारों की जानकारी दी। शिखर सम्मेलन के दौरान पीएचडीसीसीआई और एलएसआई इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंट्स द्वारा नॉलेज रिपोर्ट भी तैयार की गई।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए पीएचडीसीसीआई-राजस्थान के क्षेत्रीय निदेशक आर के गुप्ता ने आश्वाशन दिया कि चेम्बर राज्य के खनन क्षेत्र के विकास के लिए भविष्य में भी विभिन्न विषयों पर राज्य सरकार एवं खनिज उद्योग के साथ मिलकर नए नवाचारों एवं कार्यक्रमों का आयोजन करता रहेगा एवं राज्य में निवेश आकर्षित करने हेतु खनिज विभाग के साथ अपनी भागीदारी निभाएगा।
शिखर सम्मेलन को नेचुरल रिसोर्स कंसल्टिंग लिमिटेड, यूके के निदेशक सुदीप्तो मुखर्जी, एलएसआई इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंट्स के माइंस एंड मेटल्स डिवीज़न के उपाध्यक्ष अर्नब मजूमदार, प्राइस वाटर हाउस कूपर्स के एसोसिएट निदेशक अभिनव सेनगुप्ता, ईसीजीसी लिमिटेड के शाखा प्रबंधक कल्पतरु बेहरा, कीरी ऑयलफील्ड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी ललित कुमार कीरी, एनएसआईसी के जोनल कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक प्रभात कुमार झा, रिसर्जेंट इंडिया के सहायक उपाध्यक्ष अभिषेक रूंगटा, पीएचडीसीसीआई के सस्टेनेबिलिटी केंद्र के प्रमुख मिथिलेश कुमार ने भी संबोधित किया। तकनीकी सत्र का सञ्चालन मानद सेक्रेटरी जनरल डॉ तलेसरा ने किया।
विशेषज्ञों ने राज्य में व्याप्त प्रचुर खनिज भंडारों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी तरीके से आवश्यक आंकड़ों एवं विश्लेषण के साथ प्रभावी तरीके से प्रस्तुत एवं प्रसारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि विश्व की ख्याति प्राप्त कंपनियां, विशेषज्ञ एवं उद्यमी राज्य में अपार खनिज सम्पदा के दोहन एवं निवेश के लिए आकर्षित एवं प्रेरित सकें। विशेषज्ञों ने खनिज क्षेत्र में नवीन तकनीकी, वित्त पोषण के नवीन स्रोतों एवं निर्यात की संभावनाओं की जानकारी प्रतिभागियों के साथ साझा की।
शिखर सम्मेलन में राजस्थान और आसपास के राज्यों से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। माइनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान-उदयपुर चौप्टर, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति, एफएमएआर और सीडीओएस ने कार्यक्रम को अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया।