भारतीय ज्ञान-विज्ञान की अमूल्य विरासत को हमारी पाठ्य पुस्तकों में समाविष्ट करने की आवश्यकता – डाॅ. जी.एल. मेनारिया

उदयपुर। पेसिफिक विश्वविद्यालय उदयपुर में पुस्तक विमोचन में आज भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को दृष्टिगत रखते हुए तक्षशिला विद्यापीठ संस्थान चीरवा, उदयपुर एवं पूना स्थित नमस्ते इण्डिया इन्टरनेशनल के संयुक्त प्रायोजनान्तर्गत “दी गोल्डन ऐरा आॅफ इण्डियन एज्युकेशन (भारत शिक्षा का स्वर्णयुग) शीर्षक से लिखित एवं प्रकाशित पुस्तक का पेसिफिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमन्त कोठारी की अध्यक्षता, शिक्षाविद् डाॅ. श्यामसिंह राजपुरोहित के मुख्य आतिथ्य तथा देश के ख्यातनाम शिक्षाविद चिन्तक एवं पेसिफिक संस्थान के चेयरपरसन प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा के विशेष आतिथ्य में विमोचन किया गया।

आयोजन सचिव एवं संचालनकर्ता और इतिहासकार डाॅ. अजात शत्रु शिवरती ने बताया कि प्रारम्भ में स्वागत उद्बोधन तक्षशिला विद्यापीठ संस्थान की प्रो. डाॅ. नीतू मेनारिया ने किया। इसी क्रम में पुस्तक के प्रेरक इतिहासकार शिक्षाविद तक्षशिला विद्यापीठ के निदेशक प्रो. जी.एल. मेनारिया ने बताया कि भारत शिक्षा के इतिहास में प्राचीनकाल में ज्ञान विज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, गणित, रसायनशास्त्र, भौतिकी एवं खगोलशास्त्र के क्षेत्र में अग्रणी रहा, यहाँ के तक्षशिला, नालन्दा, उज्जैन, वल्लभी, काँचीपुरम, अमरावती, जगदलण इत्यादि शिक्षा के प्रमुख केन्द्र थे यहाँ अरब, चीन, युनान, इरान व एशियाई देशों से छात्र व विद्वान ज्ञानार्जन करने आते थे। अतः भारतीय “शिक्षा का स्वर्णयुग” नामक उक्त प्रकाशित पुस्तक अतीत के अतुल्य ज्ञान विज्ञान की विरासत बया करती है।

संगोष्ठी के निदेशक पाहेर ग्रुप के अध्यक्ष प्रो. बी.पी. शर्मा ने बताया कि विश्व के मानचित्र पर भारतीय इतिहास कला, संस्कृति की अमिट छाप है ईरान, ईराक, चीन, हिन्द, एशिया, श्रीलंका, यूरोप तक भारतीय सनातन धर्म एवं संस्कृति के अनेकों स्थल खोज लिये गये हैं।

मुख्य अतिथि पूर्व संभागीय आयुक्त डाॅ. श्यामसिंह राजपुरोहित ने पेसिफिक वि.वि. से किये गये अपने शिक्षा विषयक शोधकार्य – भारतीय शिक्षा विकास के इतिहास पर तथ्यात्मक प्रकाश डाला।

इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए पेसिफिक वि.वि. के कुलपति प्रो. हेमन्त कोठारी ने बताया कि आवश्यकता है कि हम हमारी अतीत की ज्ञान परम्परा के विकास के विभिन्न अवययों की खोज करें, भारत राष्ट्रीय सकल विकास में हमारी बौद्धिक सम्पदा का उपयोग करेगें तो निश्चय ही आध्यात्म मूल्य शिक्षा के साथ ही तकनीकी व कौशल आधारित शिक्षा प्रणाली भारत को नवीन स्वर्णयुग में ले जायेगी।

इस अवसर पर नमस्ते इण्डिया इन्टरनेशनल के संस्थापक अध्यक्ष श्री सुधीर एस. सालंुके, इन्टेक स्कन्ध उदयपुर के संयोजक एवं पुरावतत्ववेŸाा प्रो. ललित पाण्डे, वरिष्ठ इतिहासकार डाॅ. जे. के. ओझा, एम.एल.एस.यू. के इतिहास विभाग के प्रो. मनीष श्रीमाली, अक्षय लोक जन पत्रिका के अध्यक्ष डाॅ. विमल शर्मा, जय किशन जी चैबे, इन्द्रसिंह जी जोलावास तथा शोधार्थी श्री राम सिंह राठौड़, श्रीमती पूनम झाला, श्री सुरेन्द्र सिंह चैहान, श्री कर्णसिंह चूण्डावत इत्यादि उपस्थित थे।

साथ ही तक्षशिला संस्थान के सचिव श्री नवीन मेनारिया ने धन्यवाद एवं आभार संस्थान के डाॅ. मनोज दाधीच (इतिहास विभाग) ने प्रकट किया।

By Udaipurviews

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