उदयपुर 11 सितंबर। विज्ञान समिति नवाचार महिला प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित व्याख्यान मे शहर के जाने माने योग चिकित्सक डा. शैलेष चोरडिया ने बताया कि योग चिकित्सा से मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक सभी बीमारियों का इलाज संभव है ।
हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व योग, मुद्रा , आसन, आहार – विहार , निद्रा आदि कि सुगम पद्धतियों द्वारा निरोगी रहने के सूत्रों को अपनी दिनचर्या मे अंगीकार किया जिनका वर्तमान युग मे ध्यान नहीं रखा जाना हमारी बीमारियों का प्रमुख कारण बना है
योगनिष्ठ तरीके से बैठने, खड़े रहने व सोने – लेटने से मनुष्य अपने मेरुदंड (स्पाईनल कारड), कंधों ( फ्रोजन शोलडर), गर्दन ( सरवायकल स्पोन्डिलाईटिस), धुटनों, ऐडी आदि की समस्याओं से हमेशा के लिये निजात पा सकता है।
मुद्रा विज्ञान के अनुसार हमारी अंगुलियाँ व अंगूठा पांचों तत्वों का प्रतिनिधित्व करती है एवं अग्रभाग व मूलभाग को छूकर बनाई जाने वाली मुद्राये इसका असंतुलन दूर कर निरोगी बनाती है । आज के समय मे हार्ट अटैक बहुत आम बात हो गई है अत: अटैक आते ही रोगी के दोनो हाथों मे “अपान वायु मुद्रा” लगाने से हार्ट पर होने वाले नुकसान को सीमित किया जा सकता है । इसके कारगर होने के परिणामस्वरूप ही इसे “मृत संजीवनी मुद्रा” भी कहा जाता है।
इसी तरह कभी सांस फूलने लगे तो “प्राण मुद्रा” आपके फैफ़डों की क्षमता का तुरंत विस्तार कर राहत देता है ।
प्राणायाम का मतलब प्राण का विस्तार करना होता है और अगर “नाड़ी शोधन प्राणायाम” नियमित किया जाये तो अनेक व्याधियों से छुटकारा पाया जा सकता है।
विज्ञान समिति के मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम संयोजिका श्रीमती पुष्पा जी कोठारी, अध्यक्षा संगीता भानावत, आभा झंवर, मंजू सिंघवी, मंजुला शर्मा, अनु नवेडिया, नलीना लोढ़ा, आशा कोठारी सहित प्रकोष्ठ की 35 सदस्याओं ने सक्रियता से भाग लेकर सिखाई गई मुद्रा, आसन व प्राणायाम का अभ्यास करते हुए इन्हें अपनी दिनचर्या मे शामिल कर निरोगी होने का संकल्प लिया ।