उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में श्री जैन श्वेताम्बर वासुपूज्य महाराज मन्दिर का ट्रस्ट द्वारा आयोजित किये जा रहे चातर्मास में समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी का व्यक्तित्व अद्वितीय था कृतित्व अतुलनीय था तो प्रकृतित्व अनुपम था वे प्रेरणापुंज और प्रकाश स्तंभ थे और आज प्रेरणास्त्रोत है।
साध्वी संयम ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी के साधना काल में उपसर्गों, कष्टों की हारमाला आई थी। जितने उपसर्ग, कष्ट महावीर भगवान के जीवन में आये उतने अन्य तीर्थकरों के जीवन में नहीं आये परंतु उपसर्ग देने वाले हार गये और महावीर परमात्मा बन गये।
साधक को साधना की सफलता के लिए भगवान महावीर जैसा जीवन बनाना चाहिए। भगवान महावीर जैसा बनने के लिए भगवान महावीर ने जो कहा उसे अमली जामा पहनाना होगा।
साध्वी ने कहा कि न केवल अध्यात्म क्षेत्र में अपितु जीवन के रणक्षेत्र में सर्व क्षेत्रों में स्माइलिंग नेचर, एडजस्टींग नेचर, होल रेटींग नेचर, लविंग नेचर भौर फाइटिंग नेचर होना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि फाईटिंग नेचर होगा तभी कर्म के साम्राज्य पर विजय प्राप्त हो सकती है। सबसे भयंकर शत्रु व्यक्ति का दुष्कृत्य है। इस पर विजय प्राप्त करना सबसे बड़ी विजय है।