जीवन का उद्देश्य कृष्ण के प्रति शाश्वत प्रेम को जागृत करना-अभय गौरांग दास*

बांसवाड़ा। कॉलेज रोड़ स्थित गायत्री गार्डन  में इस्कॉन केन्द्र द्वारा कृष्ण जन्माष्टमी महा महोत्सव में  अभय गौरांग दास प्रभु ओर उज्ज्वल प्रभु ने देर मध्य रात्रि तक बारिश और फुहारों के साथ
साधक साधिकाओं को झूमने पर  मजबूर कर दिया।
धर्म सभा में प्रवचन करते हुए  अभय गौरांग दास ने बताया कि हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य योगेश्वर श्री कृष्ण के प्रति अपने शाश्वत प्रेम को पुनः जागृत करना है एक बार जब हम बिना शर्त उसकी सेवा,सत्संग करना शुरू कर देंगे तो वह प्रेम धीरे-धीरे विकसित होगा।  भगवान श्री कृष्ण 16 कलाए  दया,धैर्य,क्षमा,न्याय,निरपेक्ष,निरासक्ति,तपस्या,दृढ़ संकल्प, दानशीलता,सौंदर्य,नृत्यज्ञ,संगीतज्ञ,नीतिवादी,सत्यवादी,सर्वज्ञता,सर्व नियंत्रक से पूर्ण थे । उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का जीवन सर्वांग संपूर्ण जीवन है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आपका आत्मिक सुख और आध्यात्मिक बल जगाने का पर्व है। जीव को श्रीकृष्ण-तत्त्व में सराबोर करने का त्यौहार है।  भगवान श्रीकृष्ण ही थे जिन्होंने अर्जुन को वीरता, विषाद से प्रसाद की ओर जाने का दिव्य संदेश श्रीमद भगवदगीता के माध्यम से दिया ओर कालिया नाग के फन पर नृत्य किया, विदुराणी का साग खाया और गोवर्धन पर्वत को उठाकर गिरधारी कहलाये।
उन्होंने बताया कि समय पडऩे पर उन्होंने दुर्योधन की जंघा पर भीम से प्रहार करवाया, शिशुपाल की गालियां सुनी, पर क्रोध आने पर सुदर्शन चक्र भी उठाया और अर्जुन के सारथी बनकर उन्होंने पाण्डवों को महाभारत के संग्राम में जीत दिलवायी।  जिन्होंने मित्र धर्म का निर्वाह किया और सुदामा पर अपना सर्वस्व लुटाया। उन्होंने बताया कि वृंदावन वासियों को कृष्ण का बाल रूप और गोपी प्रसंग ज्यादा पसंद है
श्री चैतन्य महाप्रभु को कृष्ण का ईश्वरीय संस्करण ज्यादा नजर आता था वहां सूफी तत्व ज्यादा दिखाई पड़ता है किसी ने गीता के निष्काम कर्म योग को अपनाने की कोशिश की और-और लोगों ने कृष्ण को और-और दृष्टि से देखा होगा। कह सकते हैं कि हर आदमी के भीतर कृष्ण का कोई-न-कोई पहलू मौजूद है। उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके व्रत को ‘व्रतराज’ कहा जाता है। मान्यता है कि इस एक दिन पूर्ण श्रद्धा भाव व विधि विधान से व्रत रखने पर समस्त लौकिक व पारलौकिक सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
उन्होंने भगवान योगेश्वर श्री कृष्ण की हर लीला कुछ नयी प्रेरणा देने वाली है ये देवकी की दौलत है, वसुदेव का विश्वास है, अर्जुन की आस्था है, भीष्म का भरोसा है, जो द्रोपदी का सर्वत्र है, सुदामा का वर्चस्व है, सुखदेव की दिव्यता है, परीक्षित की धन्यता है, बलदेव के बंधु है, राधा के रसिया है, गोपीयो के मन बसिया है, यशोदा जी के यश है और नंद के आनंद है और हमारे आराध्य हैं।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे* महामंत्र-उन्होंने कहा कि इस बिना शर्त सेवा भाव को विकसित करने के लिए मंत्र जाप हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे का जोर से ध्यानपूर्वक और नियमित रूप से जप करें और खुश रहें।   जन्माष्टमी महापर्व पर कृष्ण कृपामृत का रसपान कराते हुए और भक्ति के सागर में डूब कर आनंदित करने से साधक साधिकाओं ओर श्रद्धालु भाव विभोर होकर देर रात तक झूमते रहे।
नन्हें मुन्हें बाल गोपाल राधा कृष्ण बने-सभागार में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में तीन से सात साल के नन्हें मुन्हें बाल गोपाल राधा कृष्ण बन कर भजनों ओर कृष्ण भावनामृत लिए गीतों पर प्रस्तुति दी तो हॉल तालियों से गूंज उठा वही साधिकाओं ने गोपी गणवेश और श्रृंगार के साथ नृत्य कर समा बांध दिया।
गायत्री गार्डन में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम-इससे पहले समारोह के प्रारम्भ में  दिव्य इत्रो से भगवान योगेश्वर का अभिषेक, विशेष श्रृंगार दर्शन झांकी और अनुष्ठान अभिनंदन निमाई प्रभु की अगुवाई में प्रारम्भ हुए। इस अवसर पर विशेष श्रृंगार आरती दर्शन तुलसी आरती, गौर आरती,नरसिम्हा आरती के बाद नन्हे मुन्हें बाल गोपाल ने सांस्कृतिक कार्यक्रम साधक नीरज पाठक की अगुवाई में प्रस्तुत हुए।
 गायत्री गार्डन को विभिन्न फूलों को दिव्य आत्मा प्रभु की अगुवाई में वरुण प्रभु , पुनीत, सुरेश, निमेष,नीरज,सुनील,निखिल,मानस, कुशल प्रभु ने सजा कर माहौल कृष्णमय होने से कृष्ण जन्माष्टमी और दही हांडी के सजे मंडप, मंदिर में मेले का सा माहौल बन गया। इस अवसर पर विभा भट्ट, चंद्रकांता ,पल्लवी,कृपाली, रचना व्यास,हिमानी पाठक शाबुनी दीपिका सहित अनेक साधक साधिकाओं द्वारा कृष्ण मण्डप सजाया गया। इस अवसर पर प्राण नाथ निताई प्रभु,सुनील,निमेष , नीरज निखिल, अजय, खुशाल,रौनक प्रभु ने विशेष सजावट में सहयोग किया।
By Udaipurviews

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