श्री कृष्ण करुणा के सागर व सच्चे प्रेमी थे-साध्वी संयमलता

उदयपुर। सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म. सा.,डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में कृष्ण जन्माष्टमी पच्छखान हंडी का भव्य आयोजन संपन्न हुआ।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ संयमलता ने कहा भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागृह में हुआ, जहां ना कोई ताली बजाने वाला था ना थाली बजाने वाला। ज्ञानयोग, निष्काम कर्मयोग तथा भक्तियोग की जो त्रिवेणी गीता के माध्यम से श्री कृष्ण ने बुहाई है, वहां अनुपम है। श्री कृष्णा करुणा के सागर थे। वे सच्चे प्रेमी थे, जिन्होंने गोकुल के कण-कण से प्रेम किया। प्रेम ऐसा जिसमें सिर्फ प्रेम ही था, वासना का तो उसमें कोई स्थान नहीं था । श्री कृष्णा गुणग्राही महापुरुष है। वे बुराई में भी अच्छाई ढूंढने का प्रयत्न करते रहते थे। वे शांति के प्रबल पक्षधर थे। आगामी चौबीसी में श्री कृष्ण अमम नाम के 12वे तीर्थंकर बनेंगे।
साध्वी ने आगे कहा कृष्ण के एक हाथ में मुरली थी जिसे  बजाकर सबको खुश करता था। गोपी बनकर गौ माता को अपने पास बुला लेता। दूसरे हाथ में चक्रव्यूह था जिससे द्रोपदी का चीर बढ़ाकर लाज बचाई थी। कृष्ण मुरारी को मानव से तो प्यार था ही, पशुओं से भी था। गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठा लिया था।
साध्वी सौरभप्रज्ञा ने कहा भक्तों के वश में भगवान तभी होते हैं जब श्रद्धा और आस्था में दम होता है। श्रद्धा में यदि जान है तो भगवान तुमसे दूर नहीं। पाठशाला के बच्चों द्वारा राधा कृष्ण पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। कौन बनेगा राधा कृष्ण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें 250 से अधिक सभी बच्चों को पुरस्कृत किया गया। पच्छखान हांडी का भव्य आयोजन हुआ जिसमें पंच परमेष्ठी की पांच हांडी जिसमें जीवन निर्माण के सरल प्रत्याख्यान थे एवं भिवंडी निवासी कमलेश बोरदिया परिवार द्वारा 15 रजत पुरस्कार एवं एक स्वर्ण बंपर पुरस्कार का आयोजन किया गया। ष्हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की नारों से जैन स्थानक भवन गूंज उठा।

By Udaipurviews

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