मनुष्य अकेला जन्म लेता, अकेला मरता लेकिन अकेला जीवन जी नहीं सकताः संयमज्योति

उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में श्री जैन श्वेताम्बर वासुपूज्य महाराज मन्दिर का ट्रस्ट द्वारा आयोजित किये जा रहे चातर्मास में समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि व्यक्ति अकेला जन्मता है अकेला मरता है परंतु जिन्दगी अकेला जी नही सकता। एक अंग्रेज विद्वान ने कहा- ह्यूमन नीड्स आर सम फ़ूड, सम फन एन्ड सम वन अर्थात कुछ भोजन सामग्री, कुछ हास्य विनोद और एक साथी व्यक्ति की आवश्यकता है।
साधी ने कहा कि शांति से सहवास के लिये सामन्जस्य की चेतना आवश्यक है। दो व्यक्ति की भी प्रकृति, रुचि और आदत समान नही होती परंतु जहाँ व्यक्तियों में सामन्जस्य की चेतना जागृत हो गयी कहाँ सामुदायिक जीवन में भी शांति से सहवास किया जा सकता है।
साध्वी ने कहा कि अहंकार और ममकार ही संबंधों में टूटन, बिखराव और घुटन पैदा करते है। रिश्ते रिसते हुए घाव नही हो, परिवार में स्नेह और सौहार्द्र का विकास हो इसकि इसके लिए अहंकार और ममकार की चेतना को विसर्जित करना आवश्यक है और विनम्रता और सहिष्णुता की चेतना को जाग्रत करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि जैसे गरीबी भयंकर समस्या है वही सर्व क्षेत्रों में असहिष्णुता भयंकर समस्या है। असहिष्णुता से ही संवेदना शून्य हो रही है। उसका दुष्परिणाम व्यक्ति को परिवार को समाज को भुगतना पड़ रहा है। प्रारंभ से ही सहिष्णुता की ट्रेनिंग दी जाए तो सामन्जस्य की चेतना जागृत हो सकती है।

By Udaipurviews

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