बैठक में सड़क सुरक्षा से संबंधित विभिन्न बिंदुओं और सड़कों की स्थिति की समीक्षा की गई। उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं की घटनाओं और इसके कारणों पर गहराई से चर्चा की। बैठक के दौरान, ओवरस्पीडिंग, ट्रैफिक प्रबंधन, आपातकालीन सेवाओं और एंबुलेंस रिस्पॉन्स टाइम जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।
बैठक में सड़क दुर्घटनाओं के बारे में चर्चा करते हुए पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ने बताया की सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही है। राजस्थान में वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में दुर्घटनाओं की संख्या में 20.26ः तथा मृतकों की संख्या में 12.88ः की गिरावट आयी, जबकि जिला प्रतापगढ़ में दुर्घटनाओं में 11.74ः की वृद्धि एवं व्यक्तियों की मृत्यु में 18.25ः की वृद्धि हुई है।
उन्होंने यह भी बताया की घातक सड़क दुर्घटनाओं में सर्वाधिक प्रभावित होने वाला आयु वर्ग 18 वर्ष से कम आयु का है। जिनका दुर्घटनाओं से हुई मृत्यु में कुल प्रतिशत 51 है।
बैठक में जिला कलक्टर ने बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जाहिर की। बैठक में यह भी बताया गया कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार एक एक्सीडेंट से हुई मृत्यु की अनुमानित आर्थिक लागत पर कैपिटा जीडीपी की 70 गुना होती है, इसके अनुसार 2023 में प्रतापगढ़ में हुए 149 सड़क दुर्घटनाओं में प्रतापगढ़ जिले को 1.09 करोड़ की आर्थिक लागत हुई है।
ऐसे करें प्राथमिक उपचार
बैठक में पीएमओ ने बताया गया की एक्सीडेंट के बाद का एक घंटा घायलों के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है यदि उस व्यक्ति को जो घायल है 1 घंटे में हॉस्पिटल नहीं पहुंचाया गया तो उसे व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
एक्सीडेंट होने पर अपना वाहन रोड के किनारे लगाएं और मरीज को देखें। फिर एंबुलेंस और पुलिस को कॉल करके एक्सीडेंट की जानकारी दें और सबसे पहले यह चेक करें कि कहीं आग तो नहीं लगने वाली है या ईंधन की लीकेज तो नहीं है और शॉर्ट सर्किट का भी ध्यान रखें।
एक्सीडेंट होने पर घायल व्यक्ति के पास जाकर बात करें बात करते समय मरीज की गर्दन न पकड़े, जिस स्थान पर चोट लगी है वहां ना पकड़े, मरीज से उसका नाम और पता पूछे व यह भी पूछे कि उसे कहीं और चोट तो नहीं लगी। इस समय यह भी देखना जरूरी है कि मरीज जवाब दे रहा है या नहीं। मरीज की नाड़ी चेक करें और नाड़ी को 8 से 10 सेकंड तक महसूस करें उसके बाद मरीज की सांस चेक करें और मरीज के मुंह के पास अपने कान को ले जाएं। उसकी सांस सुनने की कोशिश करें, ब्लीडिंग चेक करें और चेक करें कि मरीज के कहीं चोट तो नहीं है और वहां से खून तो नहीं निकल रहा है। अगर मरीज के कहीं से खून निकल रहा है तो वहां पर कोई साफ सा कपड़ा कसकर लपेट दें।
ध्यान रखे कपड़े को ज्यादा कसकर ना बांधे, उतना ही बांधे जितनी जरूरत हो। साथ ही मरीज के अंगों को भी देखें मरीज के अंगों को देखें कि कहीं कोई हड्डी तो नहीं टूटी है यदि मरीज के पैर या हाथ की हड्डी टूटी है तो अब कुछ सीधी लकड़ियां, कार्डबोर्ड, गत्ता, रस्सी या अखबार का बंडल इकट्ठा करें। मरीज के हड्डी टूटने पर यह समान बांधे।
सीपीआर कैसे दें
प्रभावित व्यक्ति की नाड़ी न मिलने पर सबसे पहले मरीज को समतल जगह पर सीधा लेटा दे। और ध्यान दें कि मरीज के मुंह पर कोई तरल पदार्थ जैसे कि थूक, खून, लार आदि नहीं हो अगर ऐसा होता है तो मुंह से वह तरल पदार्थ निकलने के लिए मरीज को गर्दन को सावधानी पूर्वक दाएं या बाएं घुमाएं। ध्यान रहे मरीज के मुंह में उंगली ना डालें, मरीज के गर्दन को सीधा करें और उसके सांस लेने के मार्ग को साफ करें।
सीपीआर देने के लिए अपने दोनों हाथों को जोड़ें और मरीज के सीने के बीचो-बीच रखें अपने दोनों हाथों को सीधा रखें और मरीज के सीने को दबाए इस प्रक्रिया को चेस्ट कंप्रेशन भी कहा जाता है । चेस्ट कंप्रेशन 1 मिनट में 100 बार होना चाहिए, चेस्ट कंप्रेशन देते समय छाती को कम से कम डेढ़ इंच तक दबाना चाहिए, हर 30 चेस्ट कंप्रेशन पर मरीज को दो सांस मुंह से देनी है, चेस्ट कंप्रेशन और सांस तब तक दे जब तक मरीज होश में न आए और अस्पताल न पहुंचे ।
यदि मरीज के शरीर में लोह, कांच या अन्य पदार्थ घुस गया है तो उसे निकालने की कोशिश बिल्कुल भी ना करें अगर आप ऐसा करते हैं तो उसे जगह से बहुत ज्यादा मात्रा में खून निकलने लगेगा, जिससे इन्फेक्शन के चांसेस बढ़ जाएंगे। मरीज को हॉस्पिटल स्ट्रेचर पर ले जाएं। उन्होंने ट्रैफिक नियमों और प्राथमिक उपचार के महत्व पर जोर दिया।
किसी भी दुर्घटना की स्थिति में त्वरित और सही उपचार दिया जाएर- जिला कलेक्टर
बैठक में जिला कलेक्टर डॉ. राजोरिया ने सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने और दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की। जिला कलक्टर ने निर्देश दिए कि ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए और लोगों को जागरूक किया जाए। इसके अतिरिक्त, किसी भी दुर्घटना की स्थिति में त्वरित और सही उपचार दिया जाए। बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने भी अपने विचार साझा किए और सड़क सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की दिशा में सुझाव दिए।