उदयपुर, 22 अगस्त। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पंन्यास प्रवर निरागरत्नविजय जी म.सा. ने गुरूवार को धर्मसभा में कहा कि बेटा रोज स्कूल लाए और कुछ ज्ञान लेकर नहीं आये तो? बिजनेस में टर्नओवर चाहे जितना हो जाए पर इनकम न होवे तो? खाना खाएं पर तृप्ति नहीं होवें तो? तो स्कूल जाना, बिजनेस करना और खाना खाना निष्फल है, ठीक उसी तरह जिनवाणी श्रवण करो और जीवन में आचरण न हो तो निष्फल है। श्रवण के तीन प्रकार है-श्रवण क्रिया, श्रवण कला और श्रवण योग। परमात्मा का जीवन करूणामय, साधु का जीवन प्रेममय और श्रावक का जीवन दयामय है। आज इतना संकल्प करना कि जिस दिन कोई शहीद हुआ है ऐसी न्यूज पढ़ें या देखने में आए तो उस दिन मिठाई का त्याग करो। स्थावर काय की विराधना से जितना अटकेंगे उतना समकित निर्मल होगा।
जिनवाणी श्रवण करो और जीवन में आचरण न हो तो निष्फल है: निरागरत्न
