परिवर्तन को सहजता से स्वीकार करेंः संयम ज्योति

उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में श्री जैन श्वेताम्बर वासुपूज्य महाराज मन्दिर का ट्रस्ट द्वारा आयोजित किये जा रहे चातर्मास में समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का अवदान है। जैसे ऋतुओं में परिवर्तन होता है वृक्षों में, वस्तुओं में परिवर्तन होता है वैसी ही परिवर्तन की व्यवस्था हमारी भी है। हमे उसे सहजता से स्वीकार करना चाहिए। अनुकूलताएं मिलने पर हर्ष, गुमान नही करना चाहिए वही प्रतिकूलतायें मिलने पर विषाद, गम नहीं करना चाहिए।
उन्हांेने कहा कि बाह्य निमित्तों से प्रभावित होने वाला ही अपने आपको सुखी दुखी मानता है। जो बाह्य निमित्तों से प्रभावित नही होता, हर परिस्थिति में मानसिक संतुलन बनाये रखता है वह अटैचमेन्ट से डिटेचमेन्ट की तरफ बढ़ता है उसको जीव से द्वेष नही होता और जड़ से राग नही होता।
साध्वी  ने कहा कि बाह्य निमित्तों से प्रभावित होने वाला सबसे पहले अपने स्वास्थ्य का नुकसान करता है। उसे रात को साउण्ड स्लीप नही आती। नींद की गोली खानी पड़ती है। वर व्यक्ति सुखी कहलाता है जिसको सोने के लिए नींद की गोली नही खानी पड़ती, जागने के लिए अलार्म नही चाहिए। वह ब्रह्म मुहूर्त में उठता है और परमात्मा का स्मरण करता हुआ संकल्प करता है कि ऐसा कोई कार्य नही करूँगा जिससे रात को चौन की नींद नही आये और सोते हुए परमात्मा की प्रेयर करता हुआ कहता है कि अगर तेरी कृपा से कल का सूर्य देखूँगा तो सर्वप्रथम तेरे श्री चरणो में नमन करने आऊंगा।

By Udaipurviews

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