उदयपुर से झाड़ोल होकर गुजरात तक प्रस्तावित नेशनल हाईवे 58 का राजस्थान सीमा में काम पूरा- सांसद रावत

– भूस्खलन से प्रभावित 3.8 किमी का कार्य शेष, पिछले दिनों उसके लिए भी 3.14 करोड़ स्वीकृत
उदयपुर, 1 अगस्त/ सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने बताया कि उदयपुर से झाड़ोल होते हुए ईडर, गुजरात तक प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58 का राजस्थान प्रदेश की सीमा में कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। इस मार्ग पर भूस्खलन से प्रभावित 3.8 किलोमीटर कार्य शेष था। उक्त बचे हुए कार्य के लिए 3.14 करोड़ रुपए की राशि कुछ दिनों पूर्व जुलाई माह में ही स्वीकृत कर दी गई थी। कुछ ही समय में यह कार्य भी पूरा हो जाएगा। सांसद डॉ. रावत की ओर से लोकसभा में पूछे गए अतारांकित सवाल के जवाब में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मंत्री नितिन गडकरी की ओर से यह जानकारी दी गई। मंत्रालय की ओर से बताया गया कि राजस्थान में कुंडाल से झाड़ोल तक तक के 58.03 किलोमीटर लंबे मार्ग पर 370.30 करोड़ रुपए की लागत से पेवर शोल्डर सहित टू लेन का उन्नयन होना था।
 इसमें 3.8 किलोमीटर भूस्खलन प्रभावित खंड को छोड़कर काम पूरा हो गया।
इसी तरह झाड़ोल से अंबहा हेली के 59.7 किलोमीटर तक के पेवड शोल्डर सहित टू लेन का उन्नयन का कार्य 341.79 करोड़ रुपए की लागत से होना था।
इस परियोजना का गुजरात राजस्थान सीमा से गुजरात राज्य में विजयनगर – अंतर सुबा – मथासुरचोकड़ी तक की 56.11 किलोमीटर लंबी सड़क का पेवड शोल्डर सहित टू लेन की सिंगल व डबल लेन सड़क का उन्नयन कार्य 699.19 करोड़ की लागत से होना है। इस कार्य की निविदा प्रक्रियाधीन है।
इस परियोजना हेतु अधिग्रहित की गई भूमि के मुआवजे के संबंध में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि उक्त कार्य के लिए कुंडाल झाड़ोल अंभा बेली में  में झाड़ोल क्षेत्र के लिए 80.56 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई थी, जिसमें से 55.56 करोड़ वितरित किए जा चुके हैं। इसी तरह गिर्वा क्षेत्र के लिए 50.45 करोड़ स्वीकृत हुए थे, उनमें से 44.01 करोड़ की मुआवजा राशि वितरित की जा चुकी है।
डूंगरपुर एवं उदयपुर के पशुपालकों ने जाना हरे चारे को संरक्षित करने की विधियां
उदयपुर, 1 अगस्त/  राजकीय पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित त्रिदिवसीय आवासीय पशुपालक प्रशिक्षण कार्यक्रम में डूंगरपुर एवं उदयपुर के पशुपालकों ने वर्षा के मौसम में उनके पास उपलब्ध अतिरिक्त हरे चारे को वर्ष पर्यन्त काम मे लेने की दृष्टि से उसे संरक्षित करने की अनेक विधियों की जानकारी प्राप्त की। प्रशिक्षण के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. सूर्य प्रकाश त्रिवेदी ने पशुपालको से अपेक्षा की कि वे प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान को अपने तक ही सीमित न रख कर अन्य पशुपालकों को भी जानकारियां देकर लाभान्वित करें। संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रम गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि पशुपालकों के क्षेत्र में व्याप्त नवीनतम तकनीकों को अपनाने से ही हम इस व्यवसाय से समुचित आय अर्जित कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकते है। डॉ. सुरेश शर्मा ने पशुपालकों को उपलब्ध कराई गई औषधि कीट की सम्पूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि समुचित उत्पादन प्राप्त करने के लिए अन्तः एवं बाह्य कृमि औषधियों का समय समय पर उपयोग करते रहना चाहिए। डॉ. पदमा मील ने पशुओं को उपलब्ध कराई जाने वाले आहार की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की बात कही। पशुपालकों को डॉ. विजय माने, डॉ. प्रफुल्ल माथुर, पन्नालाल शर्मा, डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी, डॉ. पदमा मील एवं डॉ. सुरेश शर्मा ने प्रशिक्षण की विशेष जानकारियां दी।
By Udaipurviews

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