पानी की किल्लत के कारण 500 बेटियों के आत्म स्वाभिमान की हत्या
अभी भी बारिश की आस में बैठा नगर परिषद
– जुगल कलाल
डूंगरपुर, 13 जून. शहर से तकरीबन 8 किमी दूर भंडरिया घाटा में साल 2019 में नगर परिषद ने ओर से अनूठी पहल कर दीकरियों की वाड़ी (बेटियों का बगीचा) बनाया गया। लेकीन आज बेटियों बगीचा का जिंदा पेड़-पौधों के श्मशान में तबदील हो गया है। जिसके पीछे वजह से नगरपरिषद की लापरवाही। पेड़ – पौधो को पानी और रखरखाव नहीं करने से सूख गए है। पानी की किल्लत तो पूरे ज़िले में है। नगर परिषद टैंकरों से शहर के बाकी जगह पर तो पानी की सप्लाई कर रहा है। मगर दीकरियों की वाड़ी में आज दिन तक नगर परिषद ने एक टैंकर भी भेजा। नगर परिषद के अधिकारी और जनप्रतिनिधि सप्ताह में दो बार भी पेड़ – पौधो को पानी दे देते तो आज ये जिंदा होते।
बस इतना कर लेते अधिकारी और जिम्मेदार तो बच जाता जीवन : नगर परिषद के तमाम अधिकारियों अगर हफ्ते में दो बार 500 बेटियों के भाइयों, यानि पर्यावरण के रक्षकों को पानी दे देते, उनका थोड़ा बहुत रख रखाव कर लेते तो उन्हें बचाया जा सकता था। नहीं तो अधिकारियों इसकी जिम्मेदारी उन 500 बेटियों को सौंप देते जिन्हों पेड़ -पौधो को भाई बनाया था तो भी आज बेटियों को बगीचा जिंदा होता। अगर ये भी नही कर सकते थे तो ज़िले में सैकड़ों संस्था पर्यावरण बचाव के लिए काम करती हैं। नगरपरिषद उनसे बात टैंकर की व्यवस्था करवा सकती थी। एक सप्ताह में दीकरियों की वाड़ी दो टैंकर पानी चाहिए। जिसकी बाजार में एक टैंकर की कीमत 600 रूपये है। ऐसे में सप्ताह के सिर्फ 1200 रूपए के लिए नगर परिषद ने दीकरियों की वाड़ी का गला घोंट दिया।
बगीचे से चौकीदार गायब, गेट छोड़ा खुला : नगरपरिषद की ओर दीकरियों की वाड़ी रखरखाव करने के लिए एक चौकीदार लगा रखा है। जिसका काम है नियमित समय पर पेड़ – पौधो को पानी देना और पेड़ – पौधो मवेशियो से बचाना है और 24 घंटे बगीचे की देखरेख करना है। लेकिन, जब पंजाब केसरी दीकरियों की वाड़ी पहुंची तो वहां हाल बिलकुल उलट थे। मौके पर चौकीदार था ही नहीं। दूर – दूर देखने पर भी कहीं चौकीदार नज़र नही आया। पंजाब केसरी काफ़ी देर तक चौकीदार का इंतजार किया लेकिन वो नहीं आया। वहीं, हैरानी की बात तो यह कि दीकरियों की वाड़ी के गेट के बाहर ताला भी नहीं लगा हुआ था। ऐसे कोई मवेशी आसानी से अंदर जाकर पेड़ -पौधो को खा सकता है।