पानी पर हर वर्ग का अधिकार – प्रो. सारंगदेवोत

‘‘ सतत जल प्रबंधन एवं  जल स्त्रोत संरक्षण ’’ विषय पर
एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
किसान सबसे बड़ा वैज्ञानिक – प्रो. पीके सिंह

उदयपुर  24 अप्रेल / राजस्थान विद्यापीठ के संघटक उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क, सेंटर फॉर एक्सीलेंस एवं फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को कुलपति सचिवालय के सभागार में ‘‘ सतत जल प्रबंधन एवं  जल स्त्रोत संरक्षण ’’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।

मुख्य अतिथि सीटीएई डीन प्रो. पीके सिंह ने कहा कि पानी की समस्या से निटपने के लिए नीतियों में बदलाव जाने की जरूरत है। हमे हमारे पुरातन ज्ञान की ओर पुनः लौटना होगा। किसान सबसे बड़ा वैज्ञानिक है वह हवा के रूख एवं प़िक्षयों की आवाज  से बता सकता था कि आज का मौसम कैसा होगा, कब बारीस आयेगी आदि का अनुमान हमारे किसान लगा देते थे।

अध्यक्षता करते हुए प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि जल हम सभी के लिए प्रकृति द्वारा दिया अमूल्य उपहार है, इस पर जीव, जन्तु, पैड़, पौधे, वन्य पक्षी सहित हर वर्ग का अधिकार है। इसको हमें बहुत सूझबूझ के साथ उपयोग करना होगा। कहने को धरा पर तीन चौथाई पानी है, पीने योग्य सिर्फ तीन प्रतिशत ही है।  भावी पीढ़ी को स्वच्छ जल प्रदान करवाना हमारी जिम्मेदारी है। आम  जन को इस बारे में जागरूक करना होगा। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि हमारे यहॉ  1170 मिमि बारीस होती है जिसका 80 प्रतिशत पानी बह कर चला जाता है। पानी को सहेजने की जरूरत है। इसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग, इक्यूपर रिचार्ज के साथ इरिगेशन मैनेजमेंट तथा डेªनेज मैनेजमेंट पर सही दिशा में काम करना होगा।

गिरधारी लाल वर्मा ने कहा कि पानी की समस्या विश्व व्यापी है, सामुदायिक भागीदारी से ही जल प्रबंधन को ठीक किया जा सकता है। जब किसी व्यक्ति के नल कुप में पानी आ जाता है तो वह समझता कि यह मेरा पानी है मेरी सीमा में पानी आया है और इस पर सिर्फ मेरा ही अधिकार है। लेकिन हकीकत यह है कि जमीन के नीचे केाई सीमा नहीं है। पानी के रिसोर्स को बढ़ाना होगा।

कार्यशाला में पर्यावरणविद् डॉ. अनिल मेहता, डॉ. पीसी जैन, पूर्व केन्द्रीय मुख्य श्रम आयुक्त सतीश चन्द्र जोशी, डॉ. लालाराम जाट, डॉ. नवल सिंह राजपुत,  ने जल की महत्ता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जल को शुद्ध रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है। पानी से अनेक प्रकार की बिमारिया हो रही है जिसमे लिए हम सभी दोषी है। हम सभी अपनी झीलों को हर रोज गंदा करते जा रहे है।

प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. अवनीश नागर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए एक दिवसीय कार्यशाला की जानकारी देते हुए बताया कि कार्यशाला में 35 संस्थाओं के 48 प्रतिधियों ने भाग ले अपने सुझाव दिये। अंत में कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों को  उपरणा, स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुकृति राव ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. लाल राम जाट ने जताया।

By Udaipurviews

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