बांसवाड़ा-उदयपुर,, 29 अगस्त/भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला और संस्कार भारती के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों की श्रंखला में आयोजित नाट्य उत्सव में संस्कार भारती बांसवाड़ा द्वारा गोविंद गुरु और मानगढ़ धाम पर आधारित सतीश आचार्य द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक शंखनाद का भव्य मंचन हरिदेव जोशी रंगमंच बांसवाड़ा पर किया गया। गोविंद गुरु के बाल्यकाल का अभिनय करते हुए बाल कलाकार दक्षराज सिंह चौहान ने जब अपनी मां से यह कहा की मां मैं भी गायों को चराऊँगा देश और समाज की रक्षा करूंगा। मां आप मना तो नहीं करेंगे। संपूर्ण दर्शक भाव विभोर हो गए। इसी प्रकार जब तरुण गोविंद के पात्र सूरज प्रताप सिंह चौहान स्वामी दयानंद सरस्वती से मिलने उदयपुर जाते हैं और उन से निवेदन करते हैं कि गुरुदेव में राजस्थान के दक्षिणांचल जनजाति बहुल क्षेत्र से आया हूं और ग़ोरो द्वारा समाज का शोषण देखकर बहुत व्यथित हूं मेरा मार्गदर्शन कीजिए तब स्वामी दयानंद सरस्वती के पात्र हितेश शर्मा कहते हैं कि पुत्र राष्ट्र चेतना, राष्ट्र गौरव और राष्ट्रीय संस्कारों को ग्रहण लग चुका है तुम्हें समाज को शास्त्रों से चेतन करके भारत भूमि से लुप्त हो रही भारतीयता को बचाना है। यह सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
जब कंपनी सरकार के सैनिक गोविंद गुरु को मानगढ़ धाम से गिरफ्तार करके उनके सामने पेश करते हैं तब कंपनी सरकार प्रदीप सिंह राठौड़ उनसे प्रश्न करते हैं कि गोविंद गुरु राज का खजाना खाली है लोगों ने शराब पीना बंद कर दिया है भांग अफीम गांजा की बिक्री रुक गई है ऐसे में कैसे होगा तब गोविंद गुरु जगन्नाथ वरिष्ठ रंगकर्मी जगन्नाथ तेली आवेश में आकर कहते हैं कि आप का खजाना भरने के लिए मैं लोगों को मारने दू, लोगो को ज़हर पाइन दू। लोगों के पास खाने को रोटी नहीं है वे शराब कहाँ से पियेंगे। कंपनी सरकार आपने कभी भील की भूख को देखा है कभी सोचा है वह क्या खाता है क्या पहनता है कैसे रहता है अकाल में हजारों हजार लोग मर गए बीमारी से लोग मर गए पर आपने कभी उनके बारे में नहीं सोचा वह भी तो इंसान है वह आप पर जान देने को सदैव तत्पर रहते हैं लेकिन आपने तो उन्हें अपना गुलाम समझा। जब यह संवाद वरिष्ठ रंगकर्मी जगन्नाथ तेली ने कहे तो पूरा दर्शक मंडल राष्ट्रीयता की भावना से सराबोर हो गया। इस प्रस्तुति में 10 वर्ष से लेकर 73 वर्ष तक के कलाकारों ने भाग लिया जिसमें विशेष रूप से गोविंद गुरु के कुंडला धूणी के ग्राम बारी सिया तलाई एवम झरी गांव के भक्तों ने भी इसमें अभिनय करके गोविन्द गुरु का सुप्रसिद्ध गीत भुरेटिया नै मानु रे नै मानु प्रस्तुत किया।