संविधान दिवस पर संवाद व श्रमदान
उदयपुर, 26 नवम्बर , पर्यावरण संरक्षण के मूल नागरिक कर्तव्य के निर्वहन से ही पेड़, पहाड़, पानी, नदी – तालाब बच सकेंगे। यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किये गए।
संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि भारत के संविधान में प्राकृतिक पर्यावरण, वन, झील, नदी और वन्यजीवों की रक्षा और संवर्द्धन को नागरिक कर्तव्य परिभाषित किया गया है। लेकिन, हमारे द्वारा इस नागरिक कर्तव्य के निर्वहन नही किये जाने से सम्पूर्ण पर्यावरण दूषित हो रहा है।
तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि हर प्राणीमात्र के लिये दया भाव रखना संवैधानिक नागरिक कर्तव्य है। लेकिन, देशी प्रवासी पक्षियों तथा मत्स्य विविधता को हमारे द्वारा गंभीर नुकसान पंहुचाया जा रहा है। पालीवाल ने इसे दुखद स्थिति बताया।
नंद किशोर शर्मा ने कहा कि संविधान प्रतिपादित करता है कि हम हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें। शर्मा ने अफसोस जताया कि झीलों- तालाबों के संरक्षण – सुरक्षा की सामाजिक परंपरा को हमने विस्मृत कर दिया है।
कुशल रावल ने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना मूल नागरिक कर्तव्यों में सम्मिलित है। रावल ने कहा कि समस्त प्राकृतिक स्रोत हमारी सार्वजनिक व साझा संपदा है। लेकिन, दिन प्रतिदिन इनके साथ हमारा इनके प्रति उपेक्षित व्यहवार व अति दोहन से इनकी दुर्दशा बढ़ रही है।
द्रुपद सिंह व रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि यदि आम नागरिकों से लेकर व्यवसाय जगत व सरकारी संस्थान नागरिक कर्तव्यों का पालन करे तो झीलें ,तालाब, पेड़, पहाड़ , वन सुरक्षित हो जाएंगे। संवाद से पूर्व झील श्रमदान का आयोजन हुआ।
अम्बामाता क्षेत्र से झील में फिर से समा रहा सीवरेज : अम्बामाता सामुदायिक भवन के पास से झील में हजारों लीटर सीवेज मल मूत्र झील में समा रहा है। उल्लेखनीय है कि विगत अगस्त माह में भी इसी प्रकार की भयावह स्थिति उत्पन्न हुई थी। जिसे निगम ने सुधार दिया था।लेकिन, पिछले कुछ दिनों से फिर से भारी मात्रा में मल मूत्र झील में समा रहा है।