-घर-घर नवकार मंत्र का जाप करने वाले श्रावक होंगे सम्मानित
-श्राविका संघ ने किया डायरेक्ट्री का विमोचन
उदयपुर। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ की ओर से पंचायती नोहरे में श्रमण संघीय प्रवर्तक सुकन मुनि महाराज ने चातुर्मास के अवसर पर धर्म सभा में कहा कि धन दौलत और संपदा से केवल संसार चल सकता है लेकिन आत्मा नहीं। धन दौलत से अपना शरीर शुद्ध हो सकता है लेकिन आत्मा नहीं।
आत्मा को चलाने के लिए आत्मा को शुद्ध रखने के लिए धर्म ध्यान का होना जरूरी है। सांसारिक प्राणी उन्हीं चीजों पर ज्यादा ध्यान देता है, जिसे अंततः संसार में ही छोड़ कर जाना है। रानी वह उन चीजों की ओर ध्यान नहीं दे पता है जिन्हें साथ लेकर जाना है। जब हम यहां से जाएंगे तो धन दौलत संपदा यही रह जाएग, अपने किए हुए पुण्य कर्म धर्म ध्यान ही हमारे साथ जाएगा। मनुष्य का कोई घर नहीं होता। जिसे मनुष्य अपना घर बताता है वह तो उसका है ही नहीं, क्योंकि उसको तो एक दिन छोड़कर जाना है। घर तो आत्मा का होता है। आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करती है। इसलिए अगर इस मनुष्य जीवन को सफल बनाना है तो हमें हमारे जीवन में धर्म का समावेश करना पड़ेगा। बिना धर्म के न जीवन का उत्थान होता है और नहीं जीवन का कल्याण संभव है। मिलना बिछड़ना तो दुनिया की रीति है। मनुष्य जीवन में इनका कोई सार नहीं है। अगर मनुष्य जीवन को वास्तव में सफल बनाना है तो धर्म के उपक्रम करने में ही सार है।
धर्म सभा में डॉक्टर वरुण मुनि ने भगवान महावीर के साधनकाल की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि आखिर उनके साधना कल के समय में कितने ही विघ्न और कष्ट आए लेकिन वह अपनी साधना पर अडिग रहे। आखिरकार उनके दृढ़ निश्चय और दृढ़ संकल्प के कारण वह समय भी आ गया जब उन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुआ। मुनिश्री ने महावीर भगवान के साधना काल से लेकर केवल ज्ञान प्राप्त करने तक की कथा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महावीर भगवान को केवल ज्ञान प्राप्त होने के अवसर को ही हमारे यहां केवल ज्ञान कल्याणक महोत्सव मनाया जाता है। भगवान महावीर को केवल ज्ञान और केवल दर्शन ऐसे ही प्राप्त नहीं हुआ है। उन्हें इसे प्राप्त करने के लिए 27 जन्मों तक कड़ी तपस्या और साधना करनी पड़ी। आज हम चाहते हैं कि हमें ऐसी महान चीज ऐसे ही उपलब्ध हो जाए यह संभव नहीं है। जब स्वयं भगवान को 27 जन्मों तक साधना यात्रा करनी पड़ी तब जाकर उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई, तो हम तो अभी साधारण मानव है। अगर हम चाहते हैं कि हमें इसी जन्म में वह सब कुछ मिल जाए जिससे हमारे जीवन का कल्याण हो जाए। लेकिन इसके लिए भगवान महावीर की तरह कठिन तपस्या और साधना की आवश्यकता होती है। धर्मसभा में अखिलेश मुनि एवं महेश मुनि ने सुंदर गीतिका प्रस्तुत की। समारोह में श्राविका संघ द्वारा प्रकाशित डायरेक्ट्री का विमोचन किया गया।
महामंत्री एडवोकेट रोशन लाल जैन ने बताया कि सोमवार को लोकाशाह एवं 5 माह तक चले चातुर्मास समापन समारोह आयोजित किया जायेगा। चातुर्मास के दौरान 5 माह तक अपने घर पर नवकार मंत्र का जाप कराने वाले श्रावकों को कल सम्मानित किया जायेगा। मंगलवार को प्रातः पंचायती नोहरे से सुकनमुनि महाराज आदि ठाणा का विहार होगा।
लोकाशाह जयंती व चातुर्मास समापन समारोह आज
