हमारे परमात्मा ने कमल के समान जीवन जीने की प्रेरणा दी है : साध्वी वैराग्यपूर्णाश्री  

आयड़ जैन तीर्थ में बह रही है धर्म ज्ञान की गंगा  
उदयपुर, 25 नवम्बर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में शनिवार को चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।   जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने बताया कि तारक तीर्थकर परमात्मा ने भी अपने धर्म उपदेश में कमल के स्वरूप का निर्देश कर कमल के समान जीवन जीने की प्रेरणा दी है। कमल की सबसे बड़ी प्रेरणा हे। कमल किचड़ में पैदा होता है, जल से अभिवृद्धि को प्राप्त करता है, परन्तु वह कमक कीचड़ व जल से एकदम अलिप्त ही रहता है। सरोवर के बीच रहने पर भी वह सरोवर के जल से अलग ही रहता है। कमल का मूक उपदेश है संसार में जीयो किन्तु अनासका भाव से भौतिक परार्थों के बीच रहने पर भी उन पदार्थों के प्रति हृदय में लेरा भी आसक्ति नहीं होनी चाहिये। यदि इसमें जो आसक्त होता है वह नीचे डूब जाता है और जो अनासक्त होता है वह कमल की भाँति ऊपर उठता है। जीवन में निर्लेप भाव आ जाय तो जीवन आत्मा के असीम आनंद से भर जाएगा। कमल की दूसरी निशेषता है-निर्मलता। कमल के चारों ओर जल और कीचड़ भी मेला है परन्तु वह सर्वया मल रहित निर्मल और स्वचा होता है। निर्मल कपल का यही उपदेश है जीवन निर्मल होना चाहिए। अपने जीवन वस्त्र पर किसी प्रकार का दाग नहीं होना चाहिए जीवन निपकलंक हो-मन्ति हिंसा, झूठ, चोरी व्यभिचार और परिग्रह के पाप से जीवन कलंकित नहीं हो। कमल की तीसरी निशेषता है- वह अत्यंत ही सुगन्धित होता है। अपने निकट आने वाले सभी को नह समान भाग से सुगंध ही प्रदान करता है। कोई कमल को सम्मान दे अपना कोई मोड़ दे फिर भी यह सुगंध ही देता है। उसकी सुगंध का प्रतीक है। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!