भीलवाडा, 05 सितम्बर। राजस्थान विजन डॉक्यूमेंट 2030 को तैयार करने के लिए चिकित्सा विभाग की हितधारक परामर्श कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को आईएमए हॉल में किया गया। कार्यशाला में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आमंत्रित प्रबुद्धजनों ने अपने-अपने अनुभवों के आधार पर उपयोगी विचार रखे और चिकित्सा सेवाओं में और अधिक सुधार के लिए सुझाव दिये और बदलाव के क्षेत्र में दस्तावेज बनाने के लिए अहम योगदान दिये।
प्राचार्य मेडिकल कॉलेज डॉ. पवन कुमार ने बताया कि कार्यशाला में चिकित्सा विभाग की व्यवस्थाओं में सुधार करने के लिए काफी अधिक जानकारी मिली। आज की इस चर्चा से चिकित्सा सेवाओं का विस्तार किया जाकर ग्राम स्तर तक स्वास्थ्य सेवाएं किस तरह सहज रूप से आमजन को मिल सकती है। इसके लिए चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए हितधारकों व बुद्विजीवियों ने सुझाव दिये। चिकित्सा सेवाओं की बेहतरी के लिए दिये गये सभी विचारों को संकलित कर राज्य स्तर पर प्रेषित किया जायेगा। राज्य स्तर पर राज्यभर से प्राप्त विजन को एकत्रित किया जायेगा। इसके पश्चात राज्य सरकार द्वारा विजन के अनुरूप कार्य किये जायेंगे। कार्यशाला के दौरान विकसित राजस्थान 2030 दस्तावेज तैयार करने के लिए के हितधारकों से अपने अपेक्षाएं, सुझाव और विचार लिये गये।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 मुस्ताक खान ने विजन 2030 डॉक्यूमेंट की विस्तृत जानकारी स्लाइड शो के माध्यम से देकर मौजूद विषय विशेषज्ञों से विचार मांगे। कार्यशाला के दौरान आमंत्रित सदस्यों ने खुलकर अपने विचार रखे और 2030 तक चिकित्सा क्षेत्र की मूल आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला। इस दौरान मौजूद आईएमए प्रतिनिधियों, निजी व स्वयंसेवी संस्थानों के प्रतिनिधियों, जनप्रतिनिधियों, सेवानिवृत्त अधिकारियों, नर्सिंगकर्मियों सहित अन्य प्रबुद्धजनों ने अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि 2030 तक चिकित्सा सेवाओं में क्या अहम बदलाव किए जा सकते है, जिससे आमजन के लिए चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार किये जा सके। इन सुझावों का विशेष ध्यान रखते हुए डॉक्यूमेंट्री तैयार की जायेगी। कार्यशाला के दौरान राज्य कुष्ठ रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ0 विजय लक्ष्मी, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज, डॉ0 पवन कुमार, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अरूण गौड़, डिप्टी डायरेक्टर, आयुर्वेद विभाग, जलदीप पथिक, अति0 सीएमएचओ डॉ. सीपी गोस्वामी, जिला आरसीएच अधिकारी डॉ0 संजीव शर्मा, डीडीडब्ल्यूएच डॉ0 अशोक खटवानी, आईएमए प्रतिनिधि, डब्ल्युएचओ प्रतिनिधि डॉ. स्वाति मित्तल, जिला कार्यक्रम प्रबंधक योगेश वैष्णव, जनप्रतिनिधिगण, विभिन्न संगठनों/निजी संस्थाओं के प्रतिनिधि, स्वास्थ्य सेवाओं से जुडे़ अधिकारी/कर्मचारीगण मौजूद रहे।
अनुभव के आधार पर प्रबुद्धजनों ने रखे विचार- कार्यशाला के दौरान हितधारकों प्रबुद्धजनों व विषय विशेषज्ञों ने अपने-अपने अनुभव के आधार पर विचार रखे। इस दौरान डॉ. जलदीप पथिक ने आयुर्वेद शिक्षा को विद्यालयी पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने, प्रातःकाल उठकर योग व प्राणायाम करने व आयुर्वेद विभाग के बजट को बढ़ाने के लिए सुझाव दिये। मेडिकल कॉलेज के डॉ. दिनेश कुमार बैरवा ने चिरंजीवी योजना में पंजीकरण के 3 माह पश्चात बीमित परिवार को लाभान्वित किये जाने के प्रावधान को न्यूनतम करते हुए 7 दिवस करने व चिरंजीवी योजना में डॉक्यूमेंटेशन
में समय अधिक लग जाता है, इसके लिए सरल व्यवस्था कर मरीज के इलाज पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए तथा योजना में और अधिक पैकेजेज जोड़े जाने चाहिए साथ ही निजी अस्पतालों को पैकेज अनुसार राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अन्य प्रबुद्धजनों ने नये नियुक्त होने वाले कार्मिकों के लिए प्रतिवर्ष रिफ्रेशर प्रशिक्षण आयोजित करने, मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में आयुर्वेदिक दवाओं को शामिल कर उपलब्ध करवाने, आयुर्वेद पद्धति की शल्य क्रिया को शामिल करने, चिरंजीवी योजना के दायरे को विस्तारित कर मोतियाबिंद के ऑपरेशन, महिलाओं के बच्चेदानी के ऑपरेशन एवं जोड़ प्रत्यारोपण को भी शामिल किया जाये। निशुल्क जांच योजना में उपकेंद्र स्तर तक कार्मिकों को प्रशिक्षित किये जाने तथा नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता के लिए लाभार्थी को आगामी टीके के संबंध में फोन पर एसएमएस की सुविधा उपलब्ध कराने जैसे उपयोगी सुझाव प्रदान किये गये।