उदयपुर, 30 जुलाई। वागड़-मेवाड़ और कांठल की समृद्ध जैव विविधता की श्रृंखला में सांप की एक नई प्रजाति जुड़ गई है, और यह है बेंडेड रेसर सांप। इसे प्रतापगढ़ एवं बांसवाड़ा में जिले में पहली बार देखा गया है। इस दुर्लभ प्रजाति के सांप को प्रतापगढ़ के सर्पमित्र लव कुमार जैन द्वारा दलोट में देखा गया है। जैन ने इस सांप को रायपुर रोड़ पर स्थित एक दुकान से रेस्क्यू किया है।
सर्प विशेषज्ञ धर्मेंद्र व्यास ने बताया कि राजस्थान में बैंडेड रेसर एक असामान्य रूप से देखा जाने वाला सांप है। यह मुख्य रूप से शहर के बाहरी इलाके और कृषि क्षेत्रों के आसपास के सूखे क्षेत्रों में रहता है। बैंडेड रेसर के वयस्क लाल-भूरे रंग और करीब से देखने पर भी लगभग समान छिद्रों के कारण स्पेक्ट्रमी कोबरा के बहुत करीब दिखते हैं। कई बार यह सांप आम लोगों में कॉमन वुल्फ़ समझा जाता है। उन्होंने बताया कि अपने जीवन के अधिकांश चरणों में इसे मुख्य रूप से शरीर के अग्र भाग पर सफेद बैंड की उपस्थिति की जाँच करके आसानी से पहचाना जा सकता है। यह बच्चें से बड़ा होने और पर अपना रंग बदल लेता है।
लव कुमार ने बताया कि इस असामान्य सांप को पहली बार रेस्कयू करने पर थोड़ा अलग दिखाई दिया। स्नैक एक्सपर्ट धर्मेंद्र व्यास व प्रीतम सिंह ने भी बताया कि यह दुर्लभ सांप बैंडेड रेसर है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रतापगढ़ एवं बांसवाड़ा जिले में अब तक बैंडड रेसर नहीं देखा गया है और इस मायने खोज की यह उपलब्धि लव कुमार जैन के नाम से जोड़ी गई।
वर्ज़न
अब तक जिले में दुर्लभ बैंडेड रेसर स्नैक को ऑन रिकॉर्ड ट्रेस नही किया गया है। जिले में यह रिकॉर्ड लव कुमार के नाम है। वन्य जीवों के प्रति यह अच्छा काम कर रहे है।