जगत के जीवों का उपकार परमात्मा की वाणी से ही संभव : साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री

– आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी
– चातुर्मासिक प्रवचन श्रृृंखला का नवां दिन

उदयपुर 10 जुलाई। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में सोमवार को चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहां कि तारक तीर्थकर परमात्मा वाणी के माध्यम से ही जगत के जीवों पर महान उपकार करते हैं। जिस समय अरिहंत परमात्मा समवसरण में बैठकर जगत् के जीवों को धर्म उपदेश दे रहे थे, उस समय हमारी आत्मा कहाँ थी हमे कुछ भी पता नहीं है। प्रभु की वाणी हमने सुनी या नहीं पता नहीं है। परन्तु अपने सद्भाग्य से तारक परमात्मा की उस वाणी का गणधर भगवंतों ने सूत्र के रूप में गुंथा और उन्हीं आगम सूत्रों के आधार पर पूर्वाचार्य महर्षियों ने एक से एक बढक़र प्रकरण-ग्रन्थों का निर्माण किया। हाँ उन महा पुरुषों ने वह अपना नवसर्जन संस्कृत और प्राकृत भाषा में किया, यदि आप लोग संस्कृत और प्राकृत भाषा को जानते तो उन ग्रन्थों का रसास्वाद स्वयं भी कर सकते परन्तु काल के प्रभाव से वर्तमान जैन संघ का दुर्भाग्य है कि आज हम अपनी ही भाषा को भूल गए। आज हमारी स्थिति बड़ी दयनीय हो गई है। पानी पास में होते हुए भी प्यासा मर जाए या भोजन होते  हुए भी हम भूखे मर जाएँ, ऐसी हमारी स्थिति है। आवश्यकता है ज्ञान पिपासा को जागृत करने की। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

By Udaipurviews

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