भट्टारक देवेन्द्र विजय का अवतरण दिवस धूमधाम से मनाया 

– मनुष्य को यह जीवन चार प्रकार के पुरुषार्थ करने को मिला है: आचार्य कुशाग्रनंदी

– शाम को हुई भव्य आरती व भक्ति संध्या 

उदयपुर, 19 जुलाई। पायड़ा स्थित पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में देवश्रमण आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज, मुनि अजयदेव के सानिध्य में भट्टारक देवेंद्र विजय महाराज का 34वां अवतरण दिवस धूमधाम से मनाया।  प्रवक्ता प्रवीण सकरावत व प्रचार संयोजक संजय गुडलिया ने बताया कि मंगलवार को सैकड़ों श्राकव-श्रविकाओं ने नित्य नियम पूजा, शांतिधारा, जलाभिषेक व सामायिक किया। उन्होनें बताया कि पट्टारक देवेन्द्र विजय  महाराज के अवतरण दिवस पर मुम्बई, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, उदयपुर, कर्नाटक, मध्यप्रदेश सहित देश के कोने-कोने में भक्तों ने अनाथालयों में भोजन व गौशालाओं में घास आदि के सेवा कार्य किए। इस दौरान गरीब बच्चों के शिक्षा से सम्बन्धित स्टेशनरी व अन्य सामग्री भी वितरित की गई। ब्रम्हचारिणी आराधना दीदी व अमृता दीदी ने आचार्य कुशाग्रनंदी व स्वामी भट्टारक देवेन्द्र विजय महाराज के जीवन परिचय एवं गुरु शिष्य के मिलन का प्रसंग सुनाया। इस दौरान देशभर से हजारों श्रावक-श्राविकाएं को इस दिन को सेवा दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया। 

चातुर्मास समिति के अध्यक्ष धनराज सकावत ने बताया कि इस अवसर पर टेलीविजन  से सीआईडी फेम एसीपी प्रद्युमन एवं तारक मेहता का उल्टा चश्मा फेम कृष्णन अयर ने भी आचार्य व गुरुवर को नमन करते हुए आर्शीवाद लिया एवं उसकी महत्ता बताई। हिमाचल प्रदेश के केबिनेट मंत्री रामलाल मारकण्डा ने भी डिजीटल माध्यम से बधाई संदेश भेजा। लद्दाख से बौद्ध धर्मगुरु भिखु संघसेना ने कहां कि महावीर की अहिंसा या बुद्ध की करूणा को लेकर धर्म की प्रभावना करता रहा चाहिए। 

इस दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य ने कहां कि मनुष्य को यह जीवन चार प्रकार के पुरूषार्थ करने को मिला है जो है धर्म,कर्म, काम व मोक्ष है। यह जीवन साधना करने के लिए मिला साधना करने के लिए मिला है। 

भट्टारक देवेन्द्र विजय महाराज ने कहा कि यदि घर से बड़ो का आशीर्वाद लेकर चले तो जहां भी चलेंगे बड़ो का आशीर्वाद हमारी रक्षा करेगा। जब-जब तुलना में पड़ते है परेशानी पाते है। जो मिला उससे खुश नहीं है तो जो मिलेगा वह खुशी प्रदान करेगा इसकी क्या गारंटी है। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों के सामने दूसरों के बच्चों की तारीफ करेंगे तो उनके मन मे दुर्भावना के बीज बोयेंगे। जो मिला उसमे खुश रहना सीखे। रोज घर में शांति का दान दो। सबसे ज्यादा जरूरत इसी शांति के दान की है। परिवार के सभी सदस्य इसका दान दे तो अशांति हो नहीं सकती। 

By Udaipurviews

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