विद्यापीठ – ‘‘डॉ. पूनम कृष्णा दईया फैलोशिप 2023 ’’
मनीष चौबीसा को 2023 फैलोषीप अवार्ड से नवाजा
डॉ. पूनम दईया ने साहित्य को दी नई पहचान – दुलाराम
उदयपुर 27 मई / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डिम्ड टू बी विश्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थित कुलपति सचिवालय के सभागार में शनिवार को डॉ. पूनम कृष्णा फैलोशीप 2023 का शुभारंभ कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, साहित्य अकादमी के अध्यक्ष दुलाराम सहारण , कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर, ट्रस्टी डॉ. सुनील दईया, मीता दईया, सिक्योर मीटर के महिपाल सिंह ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया।
समारेाह में सोशल वर्क के अंतिम वर्ष के छात्र मुकेश चौबीसा को अतिथियों द्वारा 2023 के फैलोशीप अवार्ड से नवाजा साथ ही मुस्कान नगारची, सृष्टि कुमावत, शिवानी देवड़ा को भी ट्रस्ट की ओर से अतिरिक्त राशि दी गई। समारोह में प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, भंवर लाल गुर्जर ने डॉ. पुनम कृष्णा ट्रस्ट को एक लाख रूपये देने की घोषणा की जिससे और अधिक युवाओं इस राशि का लाभ मिल सके जिससे वे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ सके।
मुख्य अतिथि दुलाराम सहारण ने कहा कि पुनम दईया को शोध कार्य के लिए जाना जाता है, उनका शोध कार्य भारत के उल्लेखनीय शोध कार्यो में से एक है। शोध कार्य से जुडे युवा , जो दिन रात शोध की गुणवत्ता की बात करते है उनको डॉ. पूनम दईया के शोध कार्य देखने चाहिए। उन्होने कहा कि साहित्य को जन जन तक पहुंचाने व सुदूर गांव में बैठे व्यक्ति तक शिक्षा की अलख जगाने के उद्देश्य से मनीषी जनार्दनराय नागर ने राजस्थान साहित्य अकादमी व राजस्थान विद्यापीठ की स्थापना की जो आज नित नई उंचाईयों का छू रही है। उन्होने फेलोशीप प्राप्त करने वाले विद्यार्थीं को बधाई देते हुए कहा कि वो इतना कामयाब हो कि जीवन में उंचाईयों को छूकर वो भी एक ऐसा फाउण्डेशन तैयार करे जिसके माध्यम से वंचित वर्ग की सेवा कर सके। तकनीक के दौर में युवाओं में पढ़ने की प्रवृति कम होती जा रही है , वे सिर्फ किताबी ज्ञान के आधर पर ही आगे बढ़ना चाहते है तो चिंता का विषय है।
अध्यक्षता करते हुए प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि जीवन में लेने के साथ कुछ देने की प्रवृत्ति भी रखे, चाहे जीवन हो या प्रकृति। हर चीज की अपनी एक सीमा होती है। जीवन में परोपकार की प्रवृत्ति रखनी चाहिए। जीवन में ऐसा कार्य करे जो आने वाली पीढी याद रखे। शिक्षा दान से बडा कोई दान नहीं, हमें आस पास के क्षेत्रों में रह रहे वंचित व असहाय परिवार हो, जो पैसो के अभाव में उनके बच्चे आगे पढाई को निरंतर नहीं कर पा रहे हो उन परिवारजनों की अवश्य ही मदद करनी चाहिए। व्यक्ति को अपने जीवन में पित्र ऋण, देव ऋण, गुरू ऋण को अवश्य ही चुकाना चाहिए। जीवन में हमेशा देने की प्रवृत्ति रखे जिससे देश व समाज आगे बढेगा। छात्र अपने जीवन में आने वाली हर बाधा को पार कर आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे तो वे अपने जीवन में कभी असफल नहीं हो सकते है आवश्यकता है तो निष्ठा, ईमानादारी एवं लगन के साथ आगे बढ़ने की।
ट्रस्टी डॉ. सुनील दईया ने फेलोशीप की जानकारी देते हुए कहा कि यह ट्रस्ट प्रतिवर्ष उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क के जरूरतमंद एवं आर्थिक रूप से कमजोर छात्र छात्राओं को आगे पढाई को प्रोत्साहन देने हेतु नकद राशि के रूप में मदद करता हैं। उन्होनें कहा कि यह फेलोशीप 2011 से निरंतर जारी है। फेलोशीप प्राप्त छात्र आज उच्च पदों पर अपनी सेवाए दे रहे है।
प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. अवनीश नागर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए समारोह की जानकारी। डॉ. अनुकृति राव ने डॉ. पूनम दईया की जीवनी पर प्रकाश डाला।
संचालन डॉ. सीता गुर्जर ने किया जबकि आभार डॉ. अनुकृति राव ने दिया।
समारेाह में पुर्व मुख्य श्रम आयुक्त भारत सरकार के सतीश चंद जोशी, श्रमिक नेता चेनराम, नरेश मनवानी, ऋतु चंदानी , राजु अरोडा, मनप्रीत ढींगरा, मीता दईया, सूर्यमवीर सिंह दईया, शुरवीर सिंह, यशोवर्द्धन सिंह, ओमप्रकाश, रणजीत सिंह सांखला, भावना दईया, पुष्पा सिंह, डॉ. चंचल सिंह, सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।