– शाम को हुई भव्य आरती व भक्ति संध्या
– पायड़ा जैन मंदिर से आचार्य का चातुर्मासिक सम्बोधन
उदयपुर, 16 जुलाई। पायड़ा स्थित पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज, मुनि अजय ऋषि, भट्टारक अरिहंत ऋषि ससंघ ने शनिवार को चातुर्मास महोत्सव के तहत परमेष्ठ भगवान की पूजना-अर्चना की गई।
प्रचार संयोजक संजय गुडलिया एवं दीपक चिबोडिया ने बताया कि इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज ने कहा कि आधुनिकता के नाम पर संस्कारों से खिलवाड़ हो रहा है। सारे रिश्तों में से शर्म खत्म हो गई है जिसके दुष्परिणाम सामने है। आंखों से जिस दिन शर्म विदा हो जाती है बर्बादी घर आना शुरू हो जाती है। आधुनिकता के नाम पर ऐसे काम मत करो कि एक-दूसरे की आंखे बेशर्म हो जाए। मां-बाप को कभी आंख बंद करके नहीं रहना चाहिए। जब मां-बाप ऐसे रहते है तब संताने भटकाव के रास्ते पर आगे बढ़ती है। आंखों पर पट्टी बांघ ले तो संताने दुर्योधन बन जाती है।यदि संतानों का भविष्य चाहते है तो मां-बाप को कभी आंख बंद करने की इजाजत नहीं है। घर मे बड़ो का होना महत्वपूर्ण है। जिस घर की छत नही होती वह घर नहीं खंडहर कहलाता है। जिस जीवन मे बड़े नहीं होते उसे खंडहर होते देर नहीं लगती।
मुनिश्री ने कहा कि ये बात दिमाग से निकाल दे कि बड़े लोग बोझ होते है वह तो बूस्टर डोज होते है। घर-परिवार का सुराग रखते है जिस घर मे ये खुशियों की डोज होते है उसके संस्कार अलग होते है। उन्होंने कहा कि जो संत-साध्वी अपने गुरु व श्रावक की निगरानी में रहते है वह कभी गिरते नहीं। जो निगरानी में नही रहते वह कब गिर जाएंगे ये उन्हें भी पता नहीं। समकितमुनिजी ने कहा कि माता-पिता की अति महत्वाकांक्षा के चलते बच्चे उस उम्र में नजर से दूर हो रहे है जिस समय सामने रहने चाहिए। जो समय अनुशासन का होता है उस समय फ्री छोड़ दिया जाता है। बच्चा सब कुछ बन गया लेकिन तुम्हारा नहीं बन पाया तो क्या बन गया।