विश्व पृथ्वी दिवस मनाया पृथ्वी के संरक्षण एवं महत्व पर हुई चर्चा

उदयपुर, 22 अप्रेल। ग्रीन पीपल सोसायटी पश्चिमी केंद्र सांस्कृतिक केंद्र वन मण्डल उदयपुर (उत्तर) तथा विश्व प्रकृति निधि के संयुक्त तत्वावधान में शिल्पग्राम में विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर शिल्पग्राम प्रांगण में 51 पौधों का रोपण किया गया। वृक्षारोपण पश्चात पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर की निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने पृथ्वी व पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई तथा पर्यावरण संरक्षण समिति इटाली खेडा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस दौरान  शिल्पग्राम सभागार में विश्व पृथ्वी दिवस के तकनीकी पहलुओं पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता श्रीमती किरण सोनी गुप्ता की। विशिष्ट अतिथि वन संरक्षक आर.के. जैन  एवं आजादी का अमृत महोत्सव की निदेशक श्रीमती प्रियंका चंद्रा व ग्रीन पीपल सोसायटी अध्यक्ष राहुल भटनागर रहे। अतिथियों ने जैव विविधता संरक्षण और पृथ्वी के प्रति मानव के कर्तव्यों पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय क्रेन फाउंडेशन के उप निदेशक एवं प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक गोपीसुन्दर ने सारस क्रेन एवं वूली- नैक्ट स्टॉक मनुष्य बहुलता लैंडस्केप में जीवितता की प्रवृत्तियों का वैज्ञानिक लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। दूसरे वक्ता पूर्व वन अधिकारी डॉ सतीश शर्मा ने भारतीय संस्कृति में पृथ्वी की सुरक्षा की भावना व प्रयासों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर वन संरक्षक अजय चित्तोड़ा, सुपांग शशि आदि मौजूद रहे। आभार अरुण सोनी ने जताया।
सुन्दरता का कहर
आज के आयोजन में यह तथ्य भी प्रकाश में आया है कि विदेशी प्रजातियों के अनेक पौधे हमारे पर्यावरण हेतु अच्छे नहीं है जैसे कि लाल फूलों वाला इस स्पेथेड़िया कम्पैनुवेटा कई तरह के कीटों खासकर कुछ किस्म की मधुमक्खियों के लिए घातक है। यह पौधा अफ्रिका मूल का है जिसे दुनिया के कई देशों में सुंदर फूलों हेतु लगाया जाने लगा है स्पेथेड़िया के परागणकण व मकरन्द खाकर कुछ किस्मों की मधुमक्खियाँ जीवन से हाथ धो बैठती है । इसी तरह विदेशी सौंदर्यकारी लगाए जैसे एरिस्टोलोकिया जाइजैन्टिका आदि पर कुछ तितलियां जैसे हवालोटेल अंडे देती है। इनके अड्डों से निकले कैटरपिलर जब विदेशी एरिस्टोलोकिया पत्तियां खाते हैं तो मर जाते हैं जबकि देसी एरिस्टोलोकिया हमारी तितलियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती । तितलियों एवं मधुमक्खियों के मरने से सहभागिता बाधित होती है

By Udaipurviews

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