– विनय तरुण स्मृति व्याख्यनमाला आयोजित
उदयपुर. 26 जून । पूर्व आइजी व गोविन्द गुरु जनजाति विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा के पूर्व कुलपति डॉ. टीसी डामोर ने मीडिया से आदिवासी समाज के विकास के लिए निष्पक्ष होकर काम करने की अपेक्षा की। डामोर ने मौताणा प्रथा पर गहरा अफसोस जताते हुए इसे गलत बताया। आदिवासी समाज के जड़ों से कटने की मजबूरी व मीडिया के हस्तक्षेप विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया को हमेशा आदिवासी उत्थान के लिए कार्य करना चाहिए। डामोर रविवार को विनय तरुण स्मृति कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने आदिवासी समाज को प्रकृति के करीब बताया।
तीसरे सत्र में सोशल मीडिया के ट्रोलर्स व संवाद का गांधीवादी नजरिया विषय पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी, पूर्व जिला कलक्टर बारां सुमतिलाल बोहरा ने कहा कि सोशल मीडिया पर कटाक्ष किया और कहा कि ये सोशल नहीं, एंटी सोशल मीडिया है। इसके संदेश आगे बढ़ाने से पहले विचार करना चाहिए। राजस्थान अजा परामर्शदात्री परिषद के सदस्य लक्ष्मीनारायण पंड्या ने आदिवासी समाज की कई ऐसी प्रथाओं को बताया, जिसे पहले लोग अंधविश्वास मानते थे, लेकिन अब उन पर शोध हो रहे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान पत्रिका उदयपुर के संपादक डॉ. संदीप पुरोहित ने कहा कि समाज सेलिब्रिटी सिन्ड्रोम से गुजर रहा है। अब बच्चों के आदर्श देश के महापुरुष नहीं है, बल्कि जिनके मिलियन फोलोवर्स है, वह हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के कई अच्छे प्रभाव भी है, इससे तत्काल सूचना मिल जाती है, लेकिन लोगों को पूरी तरह से इस पर भरोसा नहीं है। लोग आज भी अखबार में प्रकाशित समाचारों को ही सच मानते हैं। सत्र को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक डॉ.कमलेश शर्मा भी संबोधित किया। पशुपति शर्मा ने आभार जताया। रणजीत प्रसाद सिंह ने संचालन किया।
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