उदयपुर। होलिका उत्सव के साथ ही गणगौर पूजन का भी मेवाड़ में बहुत ही महत्व है। होलिका उत्सव के बाद जमरा बीज के दिन होलिका की राख के 16 पिण्ड बनाकर उनकी नित्य पूजा अर्चना शुरू की जाती है। इन पिण्डों को ईश्वर व गौरा का रूप मानते है। तरूणा पूर्बिया ने जानकारी देते हुए बताया कि इनकी पूजा भगवान भोलनाथ और माता पार्वर्ती का ही रूप माना जाता है। 16 दिन तक होने वाली इन पिण्डों की पूजा को तीज के दिन निकलने वाली गणगौर की सवारी पर विसर्जन किया जाता है। उदयपुर में गणगौर का मेला 4 दिवसीय होता है।
जमरा बीज के दिन होलिका की राख के 16 पिण्ड बनाकर महिलाये करती है नित्य पूजा अर्चना
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