देवेन्द्र मुनि म.सा. की 94 वीं जयन्ती एवं 1008 जोड़ों द्वारा घण्टाकर्ण महावीर अनुष्ठान आयोजित

उदयपुर। हिरण मगरी सेक्टर 4 स्थित श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ.संयमलताजी म. सा.,डॉ. अमितप्रज्ञाजी म. सा., कमलप्रज्ञाजी म. सा., सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में श्रमण संघीय  तृतीय पट्ठधर आचार्य सम्राट देवेंद्र मुनि म.सा. की 94वी जन्म जयंती मनायी एवं इस अवसर पर 1008 सजोड़ें का भव्य महामंगलकारी घंटाकर्ण महावीर अनुष्ठान संपन्न हुआ।
मंगलाचरण के पश्चात धर्मसभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलताश्री म.सा.ने कहा कि संघ रूप रथ के कुशल महासारथी आचार्य श्री इस युग के अत्यंत प्रभावक महान संत थे। उदयपुर के बरडिया परिवार में जिनका जन्म हुआ। 9 साल की अल्पायु में गुरुदेव श्री पुष्कर मुनिजी के आप शिष्य बने। आप साहित्यकार, प्रवचनकार,सदाचार, प्रज्ञा पुरुष थे। 400 से अधिक पुस्तकों का लेखन संपादन किया। आचार्य श्री श्रमण संघ के चिंतामणि, पारसमणी, कामधेनू, कल्पवृक्ष थे। एक दिव्य सूर्य मेवाड़ की धारा पर उदित हुआ और महाराष्ट्र में जाकर अस्त हो गया।
साध्वी ने आगे कहा कि घंटाकर्ण महावीर 52 वीरों में वीर है। जिनशासन के रक्षक देव है। गुजरात राज्य के महुडी गांव में घंटाकर्ण महावीर की स्थापना हुई। आचार्य बुद्धि सागर द्वारा रचित घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र आधी व्याधि और उपाधि को हारने वाला स्त्रोत है। साध्वी ने आगे रूप चौदस पर कहा हमें रूप की ही नहीं स्वरूप की भी चिंता करनी चाहिए। रूप तो कुदरत की दिन है पर स्वरूप को बदलना हर व्यक्ति के हाथ की बात है। स्वरूप बदलेगा तो जीवन संवर जाएगा। इस अवसर पर 1008 जोड़ों ने अनुष्ठान में सहभागिता दर्ज कराई।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!