कार्तिक शुक्ल एकादषी को अवतरित हुए प्रभु श्याम
4 नवम्बर को खाटू श्याम नगर में उमड़ेगा जन सैलाब
शीश के दानी श्रीश्याम बाबा का संक्षिप्त जीवन परिचय
(मंदिर के शीलालेख से प्राप्त सर्वाधिक संक्षिप्त परिचय)
‘‘फाल्गुन शुक्ल द्वादशी खाटूश्याम ने किया शीश का महादान’’
उदयपुर, 2 नवम्बर। द्वापर के अन्तिम चरण में हस्तिनापुर में कौरव एवं पाण्डव राज्य करते थे। पाण्डवों के वनवास काल में भीम का विवाह हिडिम्बा के साथ हुआ उसके एक पुत्र हुआ। जिसका नाम घटोत्कच रखा गया। पाण्डवों का राज्याभिषेक होने पर घटोत्कच का ‘‘कामकटंका’’ के साथ विवाह और उससे कार्तिक शुक्ल एकादशी को बर्बरीक का जन्म हुआ। उसने भगवती जगदम्बा से अजय होने का वरदान प्राप्त किया।
जब महाभारत युद्ध की रणभेरी बजी तब वीर बर्बरीक ने युद्ध देखने की ईच्छा से कुरुक्षेत्र की ओर प्रस्थान किया मार्ग में विप्र रूपधारी श्री कृष्ण से साक्षात्कार हुआ। विप्र के पुछने पर उसने अपने आप को योद्धा व दानी बताया। परीक्षास्वरुप उसने पेड़ के प्रत्येक पत्ते को एक ही बाण से बैध दिया तथा श्रीकृष्ण के पेर के नीचे वाले पत्ते को भी बैध कर वह बाण वापस तरकस में चला गया। विप्र वेशधारी श्रीकृष्ण ने उससे कहा कि अगर महादानी हो तो अपना ‘‘शीश’’ समर भूमि की बलि हेतु दान में दे दो। तत्पश्चात् श्रीकृष्ण के द्वारा अपना असली परिचय दिये जाने के बाद उसने महाभारत युद्ध देखने की इच्छा प्रकट की रात पर भजन पूजन कर प्रातः फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा आदि करके अपने हाथ से अपना शीश श्रीकृष्ण को दान कर दिया। श्रीकृष्ण ने उस शीश को युद्ध अवलोकन के लिए एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।
युद्ध में विजयश्री प्राप्त होने पर पाण्डव विजय के श्रेय के संबंध में वाद-विवाद करने लगे। तब श्रीकृश्ण ने कहा कि इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। शीश ने बताया कि युद्ध में श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था और द्रोपदी महाकाली के रूप में रक्तपान कर रही थी। श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर शीश को वरदान दिया कि कलियुग में तुम मेरे ‘‘ष्याम’’ नाम से पूजित होगें, तुम्हारे स्मरण मात्र से भक्तों का कल्याण होगा ओर धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष की प्राप्ति होगी।
स्वप्न दर्शनों-परान्त ‘‘बाबा श्याम’’ खाटू श्याम में स्थित श्याम-कण्ड से प्रकट होकर अपने कृष्ण विग्रह सालिगराम श्री श्याग रूप में सम्वत् 1777 में निर्मित वर्तमान मंदिर से भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर रहे है।
श्याम भक्त नारायण अग्रवाल ने बताया कि कलियुग के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं जन-जन की आस्था के प्रतीक खाटू श्याम के भक्त पूरी दुनिया में हर जगह फेले है। जो श्याम गुणगान एवं कीर्तन हेतु विशाल भजन संध्याओं, अखंड ज्योत, छप्पनभोग, भण्डारें का लगातार आयोजन करते रहते है। बाबा श्याम को छप्पनभोग, सवामणी चुरमा, पेडे, सुखे मेवे का भोग सर्वाधिक पसंद है।
‘‘हारे के सहारे-नीले के असवार’’, ‘‘शीश के दानी-तीन बाणधारी’’, ‘‘लखदतार’’ व ‘‘श्याम धणी की जय’’ आदि नाम से श्रीश्याम बाबा भक्तों के होठों पर हर पल बिराजमान रहते है।
श्री खाटू श्याम मित्र मंडल द्वारा उदयपुर में भी शनिवार 5 नवम्बर 2022 को सौ फीट रोड़ स्थित भारत पैट्रोलियम के सामने स्थित खाराकुंआ प्रांगण में सांय 7 बजे से प्रभु श्याम का भव्य जन्मदिन उत्सव धूमधाम-हर्षोल्लास से मनाया जायेगा। आज बुधवार प्रातः भूमि पूजन पश्चात् भव्य दरबार निर्माण प्रारंभ हो गया है।