डूंगरपुर : सिकल सेल एनीमिया: संक्रमण नहीं, आनुवांशिक रोग, पीएचसी-सीएचसी पर उपलब्ध इलाज

– 4831 जिले में सिकल सेल एनीमिया मरीज 
– अफवाह पर ना करें भरोसा: – स्वास्थ विभाग 

डूंगरपुर, 27 अगस्त जिले में सिकल सेल एनीमिया को लेकर फैले भ्रम पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह एक आनुवांशिक बीमारी है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है। यह कोई संक्रामक या फैलने वाली बीमारी नहीं है। जनजाति समुदाय में इस बीमारी को लेकर फैले भ्रम को दूर करने के लिए विभाग द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। सीएमएचओ डॉ. अलंकार गुप्ता ने बताया कि जिले में अब तक 6 लाख 94 हजार 825 जांच किट प्राप्त हुए थे, जिनके माध्यम से लोगों की जांच की गई। इन जांचों में 4831 सिकल सेल एनीमिया रोगियों की पहचान की गई है। विभाग के पास इनका संपूर्ण डाटा सुरक्षित है, और उन्हें नियमित रूप से दवाईयां दी जा रही हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक इस बीमारी के कारण किसी भी रोगी की मृत्यु नहीं हुई है। सिकल सेल एनीमिया के मरीजों को विशेष प्रकार का कार्ड दिया गया है, जिसकी नियमित मॉनिटरिंग और काउंसलिंग की जा रही है।

सिकल सेल एनीमिया जनजाति क्षेत्र में अधिक प्रचलित : डॉ. अलंकार गुप्ता ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया डीएनए में सैकड़ों साल पहले हुए म्यूटेशन के कारण उत्पन्न हुआ है और यह विशेष रूप से जनजाति समुदाय में अधिक पाया जाता है। इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार सामान्य गोलाकार की बजाय दराती (सिकल) जैसा हो जाता है, जिसके कारण शरीर में प्लीहा इन कोशिकाओं को नष्ट कर देती है और रोगी में हिमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। यह बीमारी माता-पिता से बच्चों में स्थानांतरित होती है, इसलिए इसे आनुवांशिक बीमारी माना जाता है। सिकल सेल एनीमिया के लक्षणों में हाथ-पैर में दर्द, सूजन, आंखों का पीला होना, बार-बार बुखार आना, खून में हिमोग्लोबिन की कमी और जल्दी थकान शामिल हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए आधुनिकता में शादी से पहले सिकल सेल एनीमिया की जांच कराना सुझाव दिया जाता है। भारत सरकार की ओर से इस बीमारी के लिए दो वैक्सीन विकसित करने का कार्य चल रहा है, और बाजार में इससे संबंधित दवाइयां और इंजेक्शन भी आसानी से उपलब्ध हैं।

उदयपुर और वागड़ संभाग में अफवाहों पर प्रशासन सख्त : एसीएमएचओ डॉ. विपिन मीणा ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया पर राज्य और केंद्र सरकार पिछले एक साल से मिलकर काम कर रही हैं। जनजाति वर्ग में इस बीमारी के अधिकांश मामले सामने आए हैं। राज्य सरकार ने 10 लाख से अधिक टेस्टिंग किट देकर इन रोगियों की हिस्ट्री एकत्रित की थी। जिले में 4831 रोगियों की पहचान की गई है और उन्हें दवाइयों के साथ काउंसलिंग की सेवाएं भी दी जा रही हैं। हालांकि, जनजाति वर्ग में इस बीमारी को लेकर फैल रही भ्रामक खबरों को देखते हुए सरकार ने बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, और सिरोही में विशेष सतर्कता बरतने और अफवाहों से बचने की सलाह दी है।

By Udaipurviews

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