लंपी डिजीज पर नियंत्रण के प्रयास जारी
संक्रमित पशुओं का पृथक्करण एवं मच्छर, मक्खियों, चिंचड़ों पर नियंत्रण जरुरी
उदयपुर 22 अगस्त। पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डाँ भूपेन्द्र भारद्वाज ने गूगल मीट से संभाग के समस्त जिलों के संयुक्त निदेशकों की बैठक लेते हुए कहा कि लम्पी स्किन डिजीज से ग्रसित पशुओं की संख्या में गिरावट संक्रमित पशु का गाँव में पृथक्करण केन्द्र बनाकर वहां पशुओं को रखने एवं क्षेत्र में कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव करने से होगी। डाँ भारद्वाज ने समस्त संयुक्त निदेशकों को निर्देशित किया कि संक्रमित गाँव में जनसहभागिता से पृथक्करण केन्द्र स्थापित करें एवं मच्छर, मक्खियों और चिचड़ो पर नियंत्रण करें, तभी इस रोग की रोकथाम में शीघ्र सफलता मिलेगी।
अतिरिक्त निदेशक ने किया गांवों का दौरा
अतिरिक्त निदेशक डॉ भूपेन्द्र भारद्वाज ने उदयपुर के बड़गाव, गोगुन्दा, कोटड़ा क्षेत्र का दौरा करते हुए ग्रामीणों को जागरूक किया। उन्होंने बताया कि यह रोग मक्खी, मच्छरों एवं चिंचड़ों द्वारा फैलता है। उन्हीं के उन्मूलन से ही इस रोग की रोकथाम की जा सकती है। डॉ। भारद्वाज ने बताया कि पशुपालक अपने स्तर पर भी नीम के पत्तों में कपूर मिलाकर सुबह-शाम धुंआ कर इस रोग के रोकथाम में सहायक बन सकतें है।
पशु गृहों में रखें साफ़ सफाई
डॉ भारद्वाज ने पशुपालकों को समझाया कि वे अपने रोगग्रस्त पशुओं के अपशिष्ट पदार्थ जैसे गोबर, मल, मूत्र, कचरा, स्त्राव इत्यादि का निस्तारण भी सूखे पत्तों के साथ जलाकर नियमित करें। पशु गृह में जितनी साफ-सफाई होगी उतनी ही जल्दी इस रोग के रोकथाम मे मदद मिलेगी। अनाधिकृत व्यक्तियों से उपचार नहीं कराने की सलाह देते हुए आम भ्रांतियों से दूर रहने पर जोर दिया। उपनिदेशक डॉ। शरद अरोड़ा ने बताया कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पशुगृह एवं पशुगृह के आस-पास के क्षेत्रो में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराया जा रहा है।
बलीचा में रोगग्रस्त पशुओं के लिये पृथक्करण केन्द्र स्थापित
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ सूर्यप्रकाश त्रिवेदी ने बताया कि जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गौपालन समिति के साथ बैठक आयोजित की गई है जिसमें गौशालाओं में अनुदान दिये जाने का अनुमोदन किया गया। जिला प्रशासन के सहयोग से शहर के दूर बलीचा क्षेत्र में रोगग्रस्त पशुओं के लिये पृथक्करण केन्द्र स्थापित किया गया है।