साक्षरता, बेहतर शिक्षा तथा मूल्य बोध के लिए विद्यापीठ की स्थापना  – प्रो. सारंगदेवोत

राजस्थान विद्यापीठ – 86 वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास से मनाया
विद्यापीठ में होंगे कई क्रांतिकारी बदलाव – प्रो. सारंगदेवोत
विद्यापीठ  में बनेगा विशाल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का इंडोर स्टेडियम, स्वीमिंग पुल
समाज निर्माण का जिम्मा शिक्षकों पर – सांसद सीपी जोशी

उदयपुर 21 अगस्त/ जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ का 86वां संस्था स्थापना दिवस रविवार को स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर साईंसेंस के सभागार में विद्यापीठ के सभी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में हर्षोल्लास से मनाया गया। समारोह का शुभारंभ कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय जॉनी, चितौड़ सांसद सी.पी. जोशी,  कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, गोरखपुर विवि युपी के कुलपति प्रो. राजेश सिंह, कुल प्रमुख बी.एल. गुर्जर, उपमहापौर पारस सिंघवी, बीएन संस्थान के एमडी मोहब्बत सिंह राठौड, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच ने मॉ सरस्वती तस्वीर पर माल्यार्पण, दीप प्रज्जवलित एवं संस्था का झण्डारोहण व जनुभाई की आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर समारोह का शुभारंभ किया। समारोह में प्रो.सारंगदेवोत ने अतिथियों का उपरणा, माला, खादी टोपी पहना व स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया।
कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यापीठ की गौरवमयी यात्रा को बताते हुए कहा कि मातृ भूमि और मातृसंस्था के लिए सेवा भाव चेतना जागृत होने पर ही सामने आती है और यही चेतना देश और संस्थानों के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है। हमें सूर्य की भांति निरन्तर गतिशील और क्रियाशील रह कर कर्तव्यपथ को प्रकाशित करना होगा ताकि राष्ट्र को विकास के पथ पर अग्रसित किया जा सके। देश के विकास का ये स्वप्न समाज के निचले और पिछडे़ तबके तक शिक्षा की अलख पहुंचाएं बिना अधूरा है। देशभक्ति की इसी भावना और सोच को साकार रूप देने के लिए ही राजस्थान विद्यापीठ की स्थापना महामना जनार्दन राय नागर ने की थी। संस्थापक जन्नूभाई के सपने को पूरा करने और राष्ट्र उन्नित में अपनी भूमिका के दायित्व को पूर्ण करने की दिशा में हम पूर्ण समर्पण से प्रयत्नशील है।
आजादी के 10 वर्ष पूर्व संस्थापक जनुभाई ने वंचित, आदिवासी व श्रमजीवी को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडने के उद्ेश्य से पांच कार्यकर्ता व तीन रूपये के बजट से 1937 में स्थापित संस्था ने अपना वट वृक्ष का रूप ले लिया है। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि संस्था में आगामी दिनों में कई क्रांतिकारी बदलाव करने जा रहा है। स्थापना के 50 वर्ष बाद संस्थान को पांच पाठ्यक्रमों के साथ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया।  आज 25 संकाय के साथ 10 हजार विद्यार्थी नियमित रूप से अध्ययन कर रहे है। विद्यापीठ शिक्षा के साथ वंचित वर्ग तक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उदद्ेश्य से  इस क्षेत्र में  भी अपनी अग्रणी भूमिका निभाने जा रहा है। इसी कडी में 15 करोड़ की लागत से 120 बेड के हास्ॅपीटल का शुभांरभ आगामी दिनोें में किया जायेगा। जहॉ केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा जारी सभी सुविधाओं का लाभ आमजन को मिल सकेगा। डबोक परिसर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का इंडोर स्टेडियम व तरणताल, श्रमजीवी परिसर में शुटिंग रेंज बनाई जायेगी , जिससे विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिलेगा। 300 विद्यार्थियों के लिए आधुनिक सुविधा से युक्त हास्टल का निर्माण अंतिम चरणो में है। सभी परिसरो को आधुनिक सुविधा युक्त बनाया जायेगा व तीनों परिसरों में सोलर प्लांट लगाये जायेंगे।  

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चित्तौड़ के सांसद सी.पी. जोशी ने कहा संस्था ने देश ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति प्राप्त की है यह हमारे लिए गौरव की बात है। आज क्षेत्र में अग्रणी संस्था है।  विद्यापीठ की ओर से करवाए जा रहे शैक्षिक और सामाजिक सहभागिता-सहकारिता कार्यांे की देश की प्रगति में भूमिका को अनुकरणीय पहल बताया। साथ साथ एनईपी के दिशानिर्देशों की पालना में उठाए गए कदमों को भी शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारों का पोषक है। अच्छे समाज की निर्माण की जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर है। वह शिक्षा खुद के लिए न होकर समाज के सर्वहारा वर्ग के लिए हो ठीक उसी तरह मूल्यपरक शिक्षा भी देश व समाज को आगे बढ़ाने की आज की जरूरत है।
अध्यक्षता करते हुए राजस्थान विद्यापीठ के कुलाधिपति प्रो. बलवन्त राय जानी ने स्थापना दिवस समारोह में कहा कि विद्यापीठ सदैव से ही स्वयं से ज्यादा समाज और देश के प्रति अपने दायित्व के प्रति सजग रह का चिन्तन मनन करता है। विकास की संभावनाओं पर चिन्तन के साथ साथ उसे मूर्त रूप देने में भी विद्यापीठ अपने दायित्वों को पूर्ण भी करता है। शोधकार्यों की दिशा में विद्यापीठ विवि खास तौर पर सक्रियता से कार्य कर रहा है।
मुख्य अतिथि उपमहापौर पारस सिंघवी ने कहा कि विद्यापीठ की बदौलत ही आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा हॅू। 86 वर्ष पुर्व जनुभाई ने दिन में काम करने वालो को शिक्षा के जोडने के लिए श्रमजीवी महाविद्यालय की स्थापना की। यहॉ निकले विद्यार्थी आज कई उच्च पदो व राजनीति में अपना व संस्था का नाम रोशन कर रहे है।
प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसाओं के मददेनजर विवि. में अनुसंधान और कौशल विकास आधारित शिक्षा और रोजगार प्रदाता पीढ़ी तैयार करने की दिशा में विवि विशेष रूप से कार्य कर रहा है जो सराहनीय है।
कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा ने कहा कि यह दिवस बीतें वर्षों में किए गए कार्यों का मूल्यांकन तथा नवीन दायित्व बोध का है। नई पीढी से मेवाड के ग्रामीण समुदाय के काम हाथ मे लेते हुए जनुभाई के सपनों केा पूरा करने की बात कही। राष्ट्र की शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति में विद्यापीठ अपनी भूमिका को निरंतर सक्रिय बनाए हुए हैं। अच्छे समाज को बनाने की जिम्मेदारी शिक्षक की है। जिसकी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे छात्र निर्माण अपना सर्वस्व दें और समाज के सामने ऐसे छात्रों को उपस्थित कर मिसाल कायम करें।
संचालन डॉ. हीना खान ने किया जबकि आभार रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच ने दिया। समारेाह में विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर व कार्यकर्ता उपस्थित थे।

By Udaipurviews

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Related Posts

error: Content is protected !!