मानवता को बचाने और बेहतर कल के लिए आज का बेहतर होना आवश्यक
आपदा न्यूनीकरण दिवस पर आपदा को न्यूनतम करने के लिए हुई परिचर्चा
जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ और पर्यावरण रक्षा संस्थान में हुआ आयोजन, कई विश्वविख्यात विशेषज्ञों ने की शिरकत
उदयपुर, 13 अक्टूबर। भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए और उन्हें आपदा मुक्त बेहतर कल के लिये सुदृढ़ ढाँचे को कैसे मज़बूत बनाये इसके लिए आज से ही सोचना होगा. साथ ही मानवता के साथ प्रकृति को बचाने के लिए हम कृत संकल्पित रहे। ये बात राजस्थान विद्यापीठ विश्वविधालय के कुलपति कर्नल प्रो. एस. एस सारंगदेवोत ने कही. वे विश्व आपदा न्यूनीकरण दिवस पर राजस्थान विद्यापीठ और पर्यावरण रक्षा संस्थान की ओर से आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में आर्ष वाक्य में पर्यावरण सुरक्षा और प्रकृति वंदन जैसी महत्वपूर्ण शिक्षा दी गई है जिससे प्रेरित होकर आज के युवा को बेहतर कल के लिए निश्चित रूप से आगे बढ़ना अनिवार्य है।उन्होंने वन अर्थ वन फैमिली का भी उद्धरण प्रस्तुत किया और “वसुदेव कुटुंबकम” का भाव परिलक्षित करते हुए कहा कि विश्व को परिवार मानकर प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा सभी को साथ मिलकर करनी होगी तथा डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए आपदा के पहले और उसके बाद दोनों का दृष्टिकोण दूरदर्शी तथा हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण कार्य उसे दृष्टिकोण को रखते हुए सुनियोजित और सुव्यवस्थित करना होगा। प्रकृति और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने पर ऑक्सीजन कम, ग्लोबल वार्मिंग जेसे घातक परिणाम भुगतने पड़ते है, इसलिए शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ समाज को भी इसके लिए जागरूक होकर साथ आना होगा तभी यह पूर्ण रूप से सफल होगा और समाज के युवा वर्ग इस आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण सहभाग करने में सक्षम है इसलिए उनकी भी एक ट्रेनिंग की जानी चाहिए जिससे समाज को बहुआयामी लाभ मिल सके।
संस्थापक अध्यक्ष कमलेंद्र सिंह कांकरवा ने बताया कि विद्यापीठ के कुलपति सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों के बीच सकारात्मक परिचर्चा का आयोजन हुआ।
इसमें राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस सारंगदेवोत, सिस्मोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ. गोविंद भारद्वाज, सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी किशनगढ़ अजमेर के ग्लेशियर विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार, उप नियंत्रक नागरिक सुरक्षा विभाग जयपुर अमित शर्मा और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के सदस्य श्री अमर सिंह राठौड़ जैसे विशेषज्ञो ने शामिल होकर इस परिचर्चा बहुआयामी दृष्टिकोण से सफल बनाया।
उपनियंत्रक अमित शर्मा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए और बताया की आपदा को अवसर में बदलना आवश्यक है। युवा विपरीत परिस्थिति में चुनौतीयो से लड़ते है , उन्हें प्रकृति और पर्यावरण की अनुकूल दिशा में जागरूक होना आवश्यक है। डिसास्टर में सबसे अधिक रिस्पॉन्स को महत्व दिया।
कार्यक्रम का संचालक और आभार दिनेश श्रीमाली ने किया और बताया कि आपदा प्रबंधन पर परिचर्चा के सार स्वरूप विशेषज्ञों ने आपदा मुक्त भविष्य के लिए युवाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका पर चर्चा की।
इस अवसर पर कुलसचिव तरुण श्रीमाली, दिग्विजय सिंह, रमेश सोलंकी, डॉ यज्ञ आमेटा ने भी विचार रखे।