वृद्धाश्रम की परंपरा भारतीय नहीं है- राज्यपाल हरिभाऊ बागडे

अखिल भारतीय नागरिक परिसंघ का दो दिवसीय सम्मेलन प्रारम्भ
उदयपुर। महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान, उदयपुर द्वारा अखिल भारतीय नागरिक परिसंघ का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज से एमएलएसयू विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में प्रारम्भ हुआ।
उदयपुर। वृद्धा आश्रम की परंपरा भारतीय नहीं है यह पश्चिम की परंपरा है। हमारें यहां पर वृद्ध आश्रम का कभी कोई स्थान नहीं रहा। हमारी भारतीय परंपरा में चार आश्रम होते हैं। पहले बाल ब्रह्मचर्य आश्रम, दूसरा गृहस्थ आश्रम, तीसरा वानप्रस्थ आश्रम और चौथा सन्यास आश्रम माना गया है। लेकिन आजकल भारत में यह परंपरा बन चुकी है कि घर का वरिष्ठ नागरिक वृद्धि हो जाता है तो ज्यादातर लोग उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। उक्त विचार महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान उदयपुर द्वारा आयोजित अखिल भारतीय नागरिक परिषद के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रथम दिन एमएलएसयू विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ नागरिकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
राज्यपाल ने कहा कि हमारंे देश में आये आक्रमणकारियों ने हमारी परंपराओं को भुलाने का कार्य किया। उन्होंने मैकाले की शिक्षा पद्धति को वर्तमान दौर में निरर्थक बताते हुए कहा कि यह शिक्षा पद्धति हमारे धर्म संस्कृति और परंपरा के अनुरूप नहीं है। हमारंे कई गुरुकुलों को खत्म कर दिया गया। एक समय था जब हमारा भारत देश सोने की चिड़िया कहलाता था। जितने स्कूल और गुरुकुल प्राचीन काल में हमारे देश में थे उसने उस दौर में ब्रिटेन में भी नहीं थे। आक्रमणकारियों को यह पता था कि भारत को गुलाम बनाना इतना आसान नहीं है। तब उन्होंने तय किया कि अगर भारत को गुलाम बनाना है तो यहां की शिक्षा पद्धति को बदलना होगा।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चला रखी है। जिसका अभी तक भी देश के सभी वरिष्ठ नागरिकों तक नहीं पहुंच पा रहा है। राजस्थान में तो वरिष्ठ नागरिकों के लिए हर तरह की सुविधाएं सरकार ने कर रखी है। पेंशन योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन की व्यवस्था भी है। यहां तक की किसान मजदूर वर्ग और जिनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है उन्हें भी सरकार की ओर से पेंशन का प्रावधान है। आयुष्मान योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों को 5 लाख तक के इलाज की व्यवस्था भी सरकार ने की है। वरिष्टों ने अपना पूरा जीवन देश व समाज के लिए समर्पित किया है। अब उनके अनुभव के आधार पर उनके मार्गदर्शन के तहत देश को आगे बढ़ाना है। वरिष्ठ नागरिक कभी अपने को बुढा नहीं माने। वह हमेशा स्वयं को जवान मानकर ही अपने अनुभव का लाभ सभी को दें। वरिष्ठ नागरिकों ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र और समाज को समर्पित किया है। अब जो बचा हुआ जीवन है उसे भी राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पित करने की सोच के साथ जिए और अपने अनुभव का लाभ सभी को देते रहे जिससे आप पर कभी बुढ़ापा नहीं आएगा। राज्यपाल ने अपने उद्बोधन से पहले मेवाड़ की शौर्य और वीरता की धरती को नमन करते हुए महाराणा प्रताप को वंदन किया।
स्वागत उद्बोधन देते हुए भंवर सेठ ने आयोजन की महत्वता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि वरिष्ठ नागरिक राष्ट्र की धरोहर है। राज्यपाल महोदय वरिष्ठों की समस्याओं को अच्छी तरह समझते हैं। सेठ ने कहा कि वर्तमान में जो वरिष्ठ नागरिकों के लिए पॉलिसी बनाई गई है उसमें सुधार की आवश्यकता है। आज भी वरिष्ठ नागरिकों के साथ बड़े स्तर पर उत्पीड़न और अन्याय होता है। रेलवे यात्रा में भी वरिष्ठ नागरिकों को पर्याप्त छूट मिलनी चाहिए।
सेठ ने मांग की की आयुष्मान योजना में 5 लाख राशि का वरिष्ठ नागरिकों के लिए जो अनुदान रखा गया है वह 70 साल की उम्र से है जबकि यह 60 साल की उम्र से ही लागू होना चाहिए। अभी यह लाभ मात्र 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को ही मिल पा रहा है जबकि 10 करोड़ वरिष्ठ नागरिक आज भी इससे वंचित है। अगर इसकी आयु सीमा 60 वर्ष तक कर दी जाती है तो वंचित 10 करोड लोगों को भी इसका सीधा लाभ मिल सकता है। सेठ ने वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए जगह-जगह मोहल्ला क्लीनिक खोलने तथा उनके अकेलेपन को दूर करने के लिए भी सरकार से कुछ उपाय करने की मांग की।
शिल्पा सेठ ने कहा कि जो भी वरिष्ठ जनों के लिए सरकारी योजनाएं हैं वह ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 60 वर्ष की उम्र के बाद वरिष्ठ नागरिकों में हैप्पीनेस बढ़ती है और सत्तर की उम्र के बाद हैप्पीनेस का हाईएस्ट लेवल होता है क्योंकि इस उम्र में निरोगी काया और हाथ में माया होना बहुत जरूरी होती है।
जनार्दनराय नागर वि.वि.के कुलपति प्रो. एस एस सारंगदेवोत ने कहा कि कब क्या करना है यह बताना बुद्धिमान का काम है लेकिन उसे कैसे करना है यह अनुभवी का काम है। आज हम बुजुर्गों से सलाह लेना भूल गए हैं। बुजुर्गों में जीवन का अनुभव होता है और उनके अनुभव से ही देश समाज और युवा आगे बढ़ सकते हैं। बुजुर्ग ही जीवन में बदलाव का मुख्य स्तोत्र होते हैं।
परिसंघ के उपाध्यक्ष भंवर सेठ ने बताया कि परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.के भाडने द्वारा ध्वजारोहण किया गया। इसके बाद कार्यकारिणी की शपथ हुई। सम्मेेलन के  मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल हरिभाउ बागडे, वि.वि.जनार्दनराय नागर वि. वि. के कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत, परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.के.भाडने, परिसंघ उपाध्यक्ष अन्ना साहब टकले, संस्थान अध्यक्ष चौसरलाल कच्छारा, डॉ. शिल्पा सेठ, एसोसिएट डीन यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ ला थे।
समारोह के प्रारंभ में राज्यपाल संयुक्त मुख्य अतिथियों ने माता सरस्वती की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलन किया।  इस दौरान सरस्वती वंदना भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम के मध्य में अनुभूति स्मारिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया एवं सम्मान समारोह भी आयोजित हुआ।
अधिवेशन के दूसरे टेक्निकल सेशन में डॉक्टर्स की एक टीम ने आपसी परिचर्चा कर वरिष्ठ नागरिकों की उम्र के साथ होने वाली बीमारियों का नवीनतम पद्धति से कैसे इलाज किया जावे।इस विषय पर अपने विचार रखे।कार्यक्रम के मॉडरेटर डा अमित खंडेलवाल वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट थे।  डा गौरव छाबड़ा एम डी,डा रमेश पुरोहित एम डी,डी एन बी रेडिएशन ओनकोलॉजी,डा अंकुर सेठिया, डा कल्पेश चौधरी एम डी,जनरल फिजिशियन, डा सुमित वार्ष्णेय डी एन बी,कॉर्डिनेशन,डॉ.कल्पेश चंद राजबर, डि के कोप्टी जनरल मैनेजर गीतांजलि मेडिकल कॉलेज ने किया।

By Udaipurviews

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