उदयपुर 09 अगस्त / विश्व आदिवासी दिवस पर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि विद्यापीठ की स्थापना आजादी के 10 वर्ष पूर्व 1937 में संस्थापक मनीषी जनुभाई ने सुदूर गांवों में वंचित व आदिवासी वर्ग को देश की मुख्य धारा में जोड़ने के उद्देश्य को लेकर की। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित सामुदायिक केन्द्र इस दिशा में आज भी कार्य कर रहे है और ग्रामीणों को रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों के माध्यम से उन्हे गांवों में आत्म निर्भर बना रहे है जिससे शहरो में उनका पलायन न हो। उन्होने कहा कि आज भी विश्व के 195 देशों में से 90 देशों में आदिवासी रहते है और इनके करीब 5 हजार कबीले है। जो भिन्न प्रकार की 7 हजार बोलियोे का प्रयोग करते हैै। भारतीय स्वतंत्रता में आदिवासी वर्ग ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और प्रताप को अपने पूरे तनम न धन से सहयोग किया। इस अवसर पर कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय जाॅनी, डाॅ. भरत भाई मेहता ने भी अपने संदेश में कहा कि आदिवासी वर्ग आज भी अपनी परम्परा, सभ्यता को संजोगे रखे।
विद्यापीठ स्थापना वंचित, आदिवासी वर्ग को ध्यान में रखकर – प्रो. सारंगदेवोत
