वनों को करीब से जाना, 68वां वन्यजीव सप्ताह हर्षोल्लास से मनाया
उदयपुर 5 अक्टूबर। 68वें वन्यजीव सप्ताह के तहत् बुधवार को माछला मगरा में विकसित किये जा रहे लव-कुश वाटिका में स्कूल के बच्चों व शहरवासियों को वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण हेतु जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आर के खैरवा मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), आर.के. जैन वन संरक्षक, मुकेश सैनी उप वन संरक्षक, सुपांग शशि उप वन संरक्षक उदयपुर(उत्तर), ओ.पी. सुथार, सुशील सैनी, विजेन्द्र सिंह सिसोदिया, क्षेत्रीय वन अधिकारी, पर्यावरणविद् डॉ. सतीश शर्मा, पक्षीविद देवेन्द्र मिस्त्री, श्रीमाली, कनिष्क कोठारी, वन्यजीव रेस्क्यू टीम के चमनसिंह तथा महर्षि दधीचि माध्यमिक स्कूल, चित्रकूट नगर उदयपुर से शिक्षक प्रहलाद खटीक, दिव्या, प्रमिला भट्ट आदि उपस्थित रहे।
पर्यावरणविद् डॉ. सतीश शर्मा ने बताया वन्यजीवों का महत्व
इस अवसर पर डॉ. सतीश शर्मा ने स्कूली बच्चों को वन एवं वन्यजीवों के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने माछला मगरा वन क्षेत्र में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पौधों की जानकारी देकर उनका उपयोग समझाया तथा बच्चों को माछला मगरा वन क्षेत्र में बनाई गई विभिन्न ईकोट्रेल्स पर भ्रमण कराकर प्रकृति के नजदीक रहकर इसके संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने इस क्षेत्र में पाए जाने वाले वन्यजीवों व पक्षियों की भी जानकारी दी।
आर के खैरवा मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) ने यह बताया कि राज्य सरकार द्वारा हर जिले में लव-कुश वाटिका विकसित की जा रही है। इसी के तहत उदयपुर जिले में यहां माछला मगरा में लव-कुश वाटिका को विकसित किये जाने का कार्य प्रगतिरत है। उन्होंने सभी बच्चों व शहरवासियों से वन एवं वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ आमजन को जागरूक करने के लिए आह्वान किया। आर.के. जैन वन संरक्षक ने बताया कि मानव के अस्तित्व के लिए वन एवं वन्यजीवों का होना बहुत जरूरी है। वन एवं वन्यजीवों के बिना मानव का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा। अतः इनका संरक्षण व संवर्द्धन अति आवश्यक है। उन्होंने स्कूली बच्चों एवं शहरवासियों को शहर में विकसित की जा रही वाटिका के महत्व के बारे में बताया तथा इसे पॉलिथीन मुक्त रखने हेतु आवश्यक सहयोग देने का आह्वान किया।
मुकेश सैनी ने वाटिका की विस्तृत कार्ययोजना पर प्रकाश डाला
उप वन संरक्षक मुकेश सैनी ने लव-कुश वाटिका की विस्तृत कार्ययोजना पर प्रकाश डाला तथा स्कूली बच्चों व शहरवासियों से इसे और अच्छा बनाये जाने हेतु सुझाव मांगे। स्कूली बच्चों व शहरवासियों ने बताया कि वे इस शहर में रह रहे है परन्तु उन्होंने इस क्षैत्र का पहली बार भ्रमण किया है। यह विकसित वन क्षेत्र है तथा वन्यजीवों और पक्षियों का आश्रय स्थल है। इसे वाटिका के रूप में विकसित किये जाने से यह शहर के नजदीक ऑक्सीजन सिलेंडर का कार्य करेगा।
पक्षीविद देवेंद्र मिस्त्री ने निकाली पक्षियों की आवाज
पक्षीविद देवेंद्र मिस्त्री ने पक्षियों की जानकारी दी तथा पक्षियों की आवाज निकालकर उन्हें पहचान करना बताया जिससे सभी बहुत प्रभावित हुए। चमन सिंह ने शहर के आस-पास निकलने वाले साँपों के रेस्क्यू के बारे में जानकारी दी तथा यह बताया कि ज्यादातर लोग सांप निकलने पर उसे मानव जाति के लिए हानिकारक समझ कर मारने का प्रयास करते है जो बहुत ही गलत तथा नियम विरुद्ध है। सांप फसलों के लिए हानि पहुंचाने वाले चूहे, कीटों आदि का शिकार कर फसल का नुकसान होने से बचाते है। अतः सांप निकलने पर उन्होंने उनके दूरभाष नम्बर पर सूचित करने हेतु आह्वान किया ताकि सांप को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जा सकें।