उदयपुर 09 नवम्बर/ जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक साहित्य संस्थान एवं माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की ओर से आगामी 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर ‘‘ राजस्थान के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी ’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन की तैयारियों को लेकर बुधवार को कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में लाखों ज्ञात अज्ञात जानजातीय लोगों ने अपना बलिदान दिया। इस आंदोलन में प्रत्येक समाज ने अपने अपने स्तर पर स्वतंत्रता प्राप्ति में योगदान दिया है, साथ ही ऐसे कई स्वतंत्र लोगों ने अपना योगदान दिया जिनको इतिहास में स्थान नहीं मिला है। उन्होने कहा कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य स्वतंत्रता के संघर्ष में योगदान देने वाले उन अज्ञात जनजातीय लोगों को सामने लाकर ज्ञात और अज्ञात लोगों के योगदान को आमजन के सामने लाना है। विशेष रूप से महाराणा प्रताप के हल्दीघाटी युद्ध आदि में स्वाधीनता के लिए शहीद हुए सेनानियों पर चर्चा की जायेगी। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बिहार, झालावाड, बांसवाडा, पाली, भीलवाडा, सीकर, डुंगरपुर, जयपुर, जोधपुर , महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, बिहार के 125 से अधिक विषय विशेषज्ञ एवं शोधार्थी भाग लेगे।
इन विषयों पर होगी चर्चा:- टीआरआई निदेशक महेश चन्द्र जोशी ने बताया कि दो दिवसीय संगोष्ठी में जनजाति वर्ग के सहयेाग से प्रजामंडल आंदोलन, जनजाति लोक गीतों में स्वतंत्रता आंदोलन, स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति की भूमिका, साहित्य में जनजातीय स्वतंत्रता आंदोलन, राजस्थान में एकीकरण में जनजातियों की भूमिका, मानगढ़ धाम पर विषय विशेषज्ञ अपना मंतव्य देगे।
बैठक में निदेशक प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. कुल शेखर व्यास, भरत आमेटा, डॉ. सपना श्रीमाली, प्रज्ञा सक्सेना ने भी अपने विचार व्यक्त किए।