– गुरुपुष्यामृत सिद्धि योग के तहत 12 हवन कुण्ड में दी आहुतियां
– दिगम्बर समाज के दसलक्षण पर्यूषण महापर्व 31 अगस्त से
उदयपुर, 27 अगस्त। पायड़ा स्थित पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में देवश्रमण आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज, मुनि अजयदेव व भट्टारक देवेंद्र विजय, ब्रम्हचारिणी आराधना दीदी व अमृता दीदी संघ के सानिध्य में सकल दिगम्बर जैन समाज पायड़ा में गुरुपुष्यामृत सिद्धि योग के तहत 12 हवन कुण्ड पर अलग-अलग परिवारों द्वारो हवन में आहुतियांए दी गई। इस दौरान नित्य नियम पूजन व जलाभिषेक आदि धार्मिक कार्यक्रम हुए। प्रचार संयोजक संजय गुडलिया, दीपक चिबोडिया ने सौधर्म इन्द्र बसंती लाल, संजय कुमार, विजय कुमार गुडलिया द्वारा मुख्य कलश की स्थापना की गई। आगामी 31 अगस्त से 9 सितंबर तक पर्वराज दसलक्षण पर्युषण महापर्व धूमधाम से पायड़ा स्थित पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य संघ के सानिध्य में मनाया जाएगा। पर्युषण पर्व के दौरानप ध्यान शिविर, श्रीजी पर अभिषेक शांतिधारा एवं पूजा तथा आचार्य के प्रवचन, सामायिक, प्रतिक्रमण तथा आरती एवं भक्ति तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन होगें। इस दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज ने कहा कि दूसरों से संघर्ष करते हुए बहुत दिन हो गए अब यदि संघर्ष करना है तो एक युद्ध स्वयं के साथ करो। हम दूसरों के साथ झगड़ा करने में जरा भी देर नहीं करते और परिवार में भी किसी को नहीं छोड़ते। एक-दूसरे को हराने की जिद व संघर्ष सारी दुनिया कर रही है। पर्युषण खुद को हरा कर जिन बनने के दिन है। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व अनादिकाल से चले आ रहे जीत-हार के सिलसिले को रोकने का अवसर है। लडऩे में ही आनंद आता है तो दूसरों की बजाय खुद से लड़ो। आज तक कोई किसी को हरा कर जिनेन्द्र नहीं बन सका है जिस दिन ये बात समझ में आ जाएगी उस दिन अपनी एनर्जी दूसरों को हराने में नहीं स्वयं को जीतने में लगाएंगे। बिना कारण जिंदगी में परेशान या मदद करने वाला नहीं आता है। कई बार जिनसे शत प्रतिशत मदद की उम्मीद होती वह निराश कर जाते है और जिनसे बिल्कुल उम्मीद नहीं होती वह मदद करने पहुंच जाता है।