सुरक्षा सखियों की कार्यशाला का हुआ आयोजन
उदयपुर 13 जून। जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के प्रत्येक पुलिस थाने में गठित होने वाली ‘सुरक्षा सखी’ महिलाओं सम्बन्धी होने वाले अपराधों की रोकथाम में मददगार साबित होंगी। कई बार देखा जाता है कि महिलाएं अपराध होने पर पुलिस के पास जिझक एवं अन्य कारणों से समय पर नहीं पहुंच पाती, जिससे अपराधियों को और बढ़ावा मिलता है लेकिन अब सुरक्षा सखियों के गठन से महिलाओं को ऐसे मामलों में काफी मदद मिल सकेगी।
जिला कलक्टर सोमवार को नगर निगम उदयपुर के सभागार में जिले की राजीविका समूह की महिलाओं एवं सुरक्षा सखियों की जिला स्तरीय कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। मंच पर उनके साथ जिला परिषद सीईओ मयंक मनीष, सेव दी गर्ल चाइल्ड की ब्रांड एम्बेसेडर डॉ. दिव्यानी कटारा, डीपीएम सहित अन्य मौजूद थे।
महिलाओं एवं बच्चियों के प्रति राज्य सरकार है संवेदनशील:
जिला कलक्टर ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार महिलाओं एवं बच्चों के प्रति संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर पुलिस द्वारा प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सखियां अपराध घटित होने से पूर्व भी अपना कार्य करे। जिले के कई क्षेत्र से बच्चों की तस्करी पर चिंता जाहिर करते हुए कलक्टर ने कहा कि सुरक्षा सखियां ऐसे मामलों पर नज़र रखें एवं प्रशासन को यथासमय सूचित करें जिससे कि बच्चों की जिंदगी बचाई जा सके।
पिछड़े इलाकों का समग्र विकास जरुरी:
जिला कलक्टर ने कहा कि कोटडा, फलासिया, झाडोल एवं लसाडिया जैसे कई पिछड़े इलाकों को आज भी विकास की दरकार है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा ऐसे क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने पिछड़े क्षेत्रों में महिला साक्षरता की कम दर पर भी चिंता जाहिर करते हुए जिलेभर से पहुंची राजीविका की महिलाओं एवं सुरक्षा सखियों से अपील कर कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिला शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाएं एवं स्कूलों में बालिकाओं के ड्राप आउट को कम करवाने में भी अपना योगदान दें।
कम होता लिंगानुपात चिंताजनक:
मंच से जिला कलक्टर ने बताया कि उदयपुर जिले में वर्ष 2011 में प्रति 1000 पुरुषों पर 958 महिलाएं थी और अब वर्ष 2022 में प्रति 1000 पुरुषों पर 944 महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि लिंगानुपात में सुधार होना चाहिए था,लेकिन ऐसा न होने उल्टा लिंगानुपात कम हो गया जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में लिंगानुपात और भी कम है, जो अच्छी बात नहीं है। ऐसे में हमें इस दिशा में भी काम करने की जरूरत है।
क्या है सुरक्षा सखी:
राजस्थान में महिलाओं एवं बच्चियों की सुरक्षा, उनके अधिकारों एवं कानून के प्रति उन्हें जागरूक कर समस्याओं के समाधान हेतु स्थानीय पुलिस से संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से राजस्थान पुलिस द्वारा एक नवीन पहल ‘सुरक्षा सखी’ प्रारंभ की गई है। इस पहल के तहत प्रत्येक थाना इलाके में महिला एवं नाबालिग बच्चियों से सम्बंधित समस्या एवं अपराधों की रोकथाम हेतु सकारात्मक संवाद स्थापित करने हेतु श्सुरक्षा सखीश् का गठन किया जा रहा है। प्रत्येक थाना स्तर पर ‘सुरक्षा सखी’ समूह थानाधिकारी द्वारा जिम्मेदारी पूर्वक निर्धारित किया जाएगा, जिसमें सभी आयु वर्ग, जाति-धर्म की महिलाएं, नाबालिग बच्चियों