उदयपुर 03 जून। राजस्थान साहित्य अकादमी भवन में महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर काव्य संध्या का आयोजन हुआ। काव्य संध्या की अध्यक्षता प्रो. श्रीनिवासन अय्यर ने की। मुख्य अतिथि डॉ. कविता किरण फालना थी व विशिष्ट अतिथि पं. नरोत्तम व्यास तथा अशोक जैन ‘मंथन’ थे।
अकादमी सचिव डॉ. बसंत सिंह सोलंकी ने बताया कि अकादमी से मीरा पुरस्कार प्राप्त डॉ. ज्योतिपुंज ने इस अवसर पर ‘देश की जय बोल राणा’ का वाचन किया। मुख्य अतिथि डॉ. कविता किरण फालना ने जिसकी पावन रज को हमने छोड़ी है जिसने हल्दी घाटी में निशानियां आदि वीर रस की कविताओं का पाठन कर महाराणा प्रताप की शौर्यगाथा से उपस्थित दर्शकों को भावविभोर किया। विशिष्ट अतिथि पं. नरोत्तम व्यास ने ‘आसमां के ध्यान में पवर्त तिकोने हो गए’ कविताओं का वाचन किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. श्रीनिवासन अय्यर ने महाराणा प्रताप पर संस्कृत में महाराणा प्रताप पर नव रचित कविता का पाठ किया। किरण बाला ‘किरन’ ने ओ विध्य पवन, ठहर ठहर चल, का वाचन किया। युगधारा संस्था के अध्यक्ष अशोक जैन ‘मंथन’ ने ‘चाहते हो अगर बदलना ये जमाना राणा प्रताप की सोच अन्तर में जगाओ आदि कविताओं का वाचन किया।
लौट आओ प्रताप, तुम्हें देश बुलाता है
काव्य संध्या का शुभारंभ पं. मनमोहन मधुकर द्वारा सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति के साथ हुआ। डॉ. इन्दिरा सुरेन्द्र शर्मा ने लौट आओ प्रताप तुम्हें देश बुलाता हैं, ज्योति वर्मा ने मेवाड़ वीर की शान कहिये, सोम शेखर व्यास ने गहन वेदना के क्षण में अपना पथ ना भूलें, मुश्ताक चंचल ने यह उदयपुर कश्मीर से दिलकश है’, रचना सोनी ने उदयसिंह रा सपूत, पुष्कर गुप्तेश्वर ने तुम सा नहीं प्रताप जगत में, आशा पाण्डेय ओझा ने केसरिया धरती अपनी, केसरिया माटी’ डॉ. शंकरलाल शर्मा ने ओ प्रताप महान, ओ सूर्यवंशी शान, शैलेन्द्र ढ्ढा, ने स्मरण प्रताप का करता हिन्दुस्तान, डॉ. कुंजन आचार्य ने मन की दीवारों पर तो बस तेरा नाम लिखा, डॉ. निर्मल गर्ग ने प्रताप हरण के लिए, ताप जिसे हरा ना सका जैसी वीररस से ओतप्रोत कविताओं की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर कैलाश सोनी, हिमांशु नागर, छवि भदादा, पारखी जैन, प्रखर शर्मा, डॉ. निर्मला शर्मा ‘निलोफर’, मंगल कुमार जैन, चंद्रेश खत्री, डॉ. राजकुमार ‘राज’, महेन्द्र कुमार साहू, शकुन्तला सोनी, बालकृष्ण त्रिपाठी, संजय गुप्ता, रामदयाल मेहरा, जगदीश तिवारी आदि ने काव्य पाठ कर अपनी भागीदारी दी। कार्यक्रम का संचालन किरणबाल जीनगर ने किया। इस अवसर पर उदयपुर शहर के विभिन्न साहित्यकारों तथा गणमान्य नागरिकों द्वारा भागीदारी की गई।