– एन सी सी केडेट्स का किया सम्मान, देश की एकता, अखण्डता की दिलाई शपथ
– युवा पीढ़ी महापुरूषों की जीवनी को अपने जीवन में आत्मसात करें – कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत
उदयपुर 15 जनवरी / भारतीय थल सेना के 75वें स्थापना दिवस पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विवि की ओर से रविवार को प्रतापनगर स्थित प्रशासनिक भवन के सभागार में एनसीसी केेडेट्स को सम्मानित एवं देश की एकता खण्डता की शपथ दिलाते हुए कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है जो हमें एनसीसी के माध्यम से सिखने को मिलता है और इसी के माध्यम से देश सेवा का अवसर मिलता है। देश सेवा से बढकर कोई कार्य नहीं है इसलिए युवाओं को इस क्षेत्र में बढचढ कर आना चाहिए। युवा पीढ़ी महापुरूषों की जीवनी को अपने जीवन में आत्मसात कर आगे बढेगे तो जीवन में कभी असफल नहीं होगे। उन्होने कहा कि फ्रांसिस बूचर ने भारत में अंतिम ब्रिटिश जनरल के रूप में काम किया और उसके बाद भारतीय सेना की कमान फील्ड मार्शल के एम करियप्पा को सौप दी गई और करियप्पा भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ बने। के एम करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पद संभालने के ही उपलक्ष्य में हर वर्ष 15 जनवरी के दिन भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। एनसीसी एक निस्वार्थ सेवा है जिससे जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण होता है। एनसीसी के माध्यम से ऐसे लाखों युवा देश में तैयार हो रहे है जो हमारी राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता , सांझी सांस्कृतिक विरासत और संवैधानिक मर्यादाओं के प्रति पूरी तरह निष्ठावान है। इन्हीं में से कुछ यौद्धा भविष्य देश की सेवा में आगे आएगें। आयोजन सचिव डॉ. हिम्मत सिंह चुण्डावत ने बताया कि इस अवसर पर डॉ. रचना राठौड, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. अमी राठौड ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में हर्ष सिंह, प्रियांश शर्मा, निकिता जोशी, गजेन्द्र नाथ सिंह ने देश प्रेम से ओतप्रोत देश भक्ति गीत एवं कविता पाठ का गायन किया। केडेट् निकिता जोशी को छात्रा वर्ग व गजेन्द्र नाथु जोगी को बेस्ट केडेट् अवार्ड से नवाजा गया।
संचालन डॉ. हिम्मत सिंह ने किया जबकि आभार डॉ. रचना राठौड ने किया। समारोह का शुभारंभ मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर निजी सचिव कृष्ण कांत कुमावत, जितेन्द्र सिंह चौहान, डॉ. जयसिंह जोधा सहित एनसीसी केडेट्स को देश की एकता , अखण्डता की शपथ दिलाई।